Hindi Poem of Raghuveer Sahay “Basant“ , “बसंत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बसंत

Basant

पतझर के बिखरे पत्तों पर चल आया मधुमास,

बहुत दूर से आया साजन दौड़ा-दौड़ा

थकी हुई छोटी-छोटी साँसों की कम्पित

पास चली आती हैं ध्वनियाँ

आती उड़कर गन्ध बोझ से थकती हुई सुवास

बन की रानी, हरियाली-सा भोला अन्तर

सरसों के फूलों-सी जिसकी खिली जवानी

पकी फसल-सा गरुआ गदराया जिसका तन

अपने प्रिय को आता देख लजायी जाती।

गरम गुलाबी शरमाहट-सा हल्का जाड़ा

स्निग्ध गेहुँए गालों पर कानों तक चढ़ती लाली जैसा

फैल रहा है।

हिलीं सुनहली सुघर बालियाँ!

उत्सुकता से सिहरा जाता बदन

कि इतने निकट प्राणधन

नवल कोंपलों से रस-गीले ओंठ खुले हैं

मधु-पराग की अधिकाई से कंठ रुँधा है

तड़प रही है वर्ष-वर्ष पर मिलने की अभिलाष।

उजड़ी डालों के अस्थिजाल से छनकर भू पर गिरी धूप

लहलही फुनगियों के छत्रों पर ठहर गई अब

ऐसा हरा-रुपहला जादू बनकर जैसे

नीड़ बसे पंछी को लगनेवाला टोना,

मधुरस उफना-उफनाकर आमों के बिरवों में बौराया

उमंग-उमंग उत्कट उत्कंठा मन की पिक-स्वर बनकर चहकी

अंगड़ाई सुषमा की बाहों ने सारा जग भेंट लिया

गउझर फूलों की झुकी बेल

मह-मह चम्पा के एक फूल से विपिन हुआ।

यह रंग उमंग उत्साह सृजनमयी प्रकृति-प्रिया का

चिकना ताज़ा सफल प्यार फल और फूल का

यह जीवन पर गर्व कि जिससे कलि इतरायी

जीवन का सुख भार कि जिससे अलि अलसाया।

तुहिन-बिन्दु-सजलानुराग यह रंग-विरंग सिन्दुर सुहाग

जन-पथ के तीर-तीर छिटके,

जन-जन के जीवन में ऐसे

मिल जाए जैसे नयी दुल्हन

से पहली बार सजन मिलते हैं

नव आशाओं का मानव को बासन्ती उपहार

मिले प्यार में सदा जीत हो, नहीं कभी हो हार।

जिनको प्यार नहीं मिल पाया

इन्हें फले मधुमास।

पतझर के बिखरे पत्तों पर चल आया मधुमास।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.