Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Dil Musafir hi raha suye-safar aaj bhi hai “ , “दिल मुसाफ़िर ही रहा सूये-सफ़र आज भी है ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दिल मुसाफ़िर ही रहा सूये-सफ़र आज भी है
Dil Musafir hi raha suye-safar aaj bhi hai

 

दिल मुसाफ़िर ही रहा सूये-सफ़र आज भी है
हाँ! तसव्वुर में मगर पुख़्ता सा घर आज भी है

कितने ख्वाबों की बुनावट थी धनुक सी फैली
कूये-माज़ी में धड़कता वो शहर आज भी है

बाद मुद्दत के मिले, फिर भी अदावत न गयी
लफ़्जे-शीरीं में वो पोशीदा ज़हर आज भी है

नाम हमने जो अँगूठी से लिखे थे मिलकर
ग़ुम गये हैं मगर ज़िन्दा वो शज़र आज भी है

अब मैं मासूम शिकायात पे हँसता तो नहीं
पर वो गुस्से भरी नज़रों का कहर आज भी है

 

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