जंगल के दोस्त
Jangal ke dost
एक घने जंगल के किनारे एक ब्राह्मण रहता था उसका नाम धर्म दास था धर्म दास पहले पास के एक गाँव में रहता था धर्म दास सब को ज्ञान की बातें समझाया करता था कोई उसकी बात समझना ही नहीं चाहता था उसका एक बेटा था उसका नाम ज्ञान देव था ज्ञान देव अभी छोटा बच्चा ही था जब उसकी माँ चल बसी थी
लोगों ने धर्म दास की बातों को उसकी मौत का कारण मान कर उसे गाँव से बाहर निकाल दिया तब से धर्म दास जंगल के किनारे झोंपड़ी बना कर रहने लगा जब धर्मदास आस पास के गाँवों में कुछ कमाने जाता तो घर में ज्ञान देव अकेला ही खेलता रहता जंगल में एक बड़ा घास का मैदान था वहाँ पर बहुत से जंगली घोड़े चरने के लिए आते थे एक दिन एक छोटा बच्चा धर्म देव की झोंपड़ी के पास आ गया ज्ञान देव ने घर में रखे हुए कुछ चने उसे खिलाए घोड़े को एक नया स्वाद मिला रात को ज्ञान देव ने अपने पिता को बताया कि एक छोटे घोड़े से उसकी दोस्ती हो गई है ज्ञान देव ने बताया कि घोड़े को चने बहुत पसन्द आए थे अगले दिन धर्म दास एक बोरी चने की ले आया अब घोड़ा वहाँ रोज आने लगा ज्ञान देव उसे बहुत चाव से चने खिलाता दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई
ज्ञान देव ने उसका नाम बादल रखा चने खा कर बादल तेजी से बड़ा होने लगा वह अपने दूसरे हम उम्र साथियों से बहुत अधिक बलवान हो गया वह ज्ञान देव को अपनी पीठ पर बिठा कर दूर तक जंगल में ले जाता दोनों एक दूसरे की भाषा समझने लगे बादल ने उसे बताया कि वह जंगल के सब जानवरों की भाषा समझता है कभी कभी वह ज्ञान देव को बताता कि कौन सा जानवर क्या बात कर रहा है ज्ञान देव को इसमें बहुत मजा आता बादल के साथियों ने एक दिन बादल की शिकायत घोड़ों के राजा से की उन्होंने कहा बादल रोज ही एक आदमी के बच्चे से मिलता है इसलिए वह हमारे साथ नहीं खेलता हम उसके पास जाते हैं तो हमें लात मार कर दूर भगा देता है वह आदमी के बच्चे को अपनी पीठ पर भी बैठने देता है हमारी सारी बातें भी उसे बताता है राजा को बादल का व्यवहार पसंद नहीं आया उसने बादल को अपने पास बुला कर सारी बात स्वयं जानने का निश्चय किया अगले दिन बादल को राजा के दरबार में पेश किया गया| राजा ने पूछा क्या यह सच है कि तुम एक आदमी के बच्चे को अपनी पीठ पर बैठने देते हो बादल ने कहा हाँ! वह मेरा दोस्त है राजा ने कहा तुम जानते नहीं कि मानव कभी हमारा दोस्त नहीं हो सकता वह हमें बाँध कर अपने घर में रख लेता है फिर हम पर सवारी करता है बादल ने कहा पर मेरा
दोस्त ऐसा नहीं है वह मुझ से प्यार करता है मैं स्वयं ही उसे अपनी पीठ पर बैठाता हूँ उसने ऐसा करने के लिए कभी नहीं कहा घोड़ों के राजा ने पूछा क्या कारण है कि तुम अपने साथियों से बहुत ज्यादा बड़े और बलवान हो गए हो तुम सब को एक साथ मार कर भगा देते हो इसी उम्र में तुम मुझ से भी तेज दौड़ने लगे हो मैंने देखा है कि तुम हवा से बातें करते हो यह सब मेरे मित्र ज्ञान देव के कारण है वह मुझे प्रतिदिन चने खिलाता है मेरे बदन की प्यार से मालिश करता है बादल ने उत्तर दिया और तुम हमारी बिरादरी की सारी बातें भी उसे बताते हो राजा ने क्रोध में भर कर कहा मैं अपने घर की कोई बात नहीं बताता केवल जंगल के जानवर क्या बात करते हैं वही बताता हूँ जंगल के पशु-पक्षियों की बोली उसे सिखाता हूँ वह भी मुझे अच्छी अच्छी बातें बताता है अपनी भाषा भी मुझे सिखा रहा है उसने मुझे बताया है कि मानव उतना बुरा प्राणी नहीं है जितना हम उसे समझते हैं बादल ने नम्रतापूर्वक कहा यदि वह इतना अच्छा है तो तुमने आज तक हमें उससे मिलवाया क्यों नहीं राजा ने कहा आपने पहले कभी ऐसा आदेश दिया ही नहीं आप कहें तो मैं कल ही उसे आपके दरबार में हाजिर कर दूँगा उसे हमसे कोई भय नहीं है मैंने उसे बताया है कि घोड़े भी मानव से दोस्ती करना चाहते हैं बादल बोला राजा ने कहा क्या तुम नहीं जानते कि पड़ोस का राजा हमारे कितने ही घोड़़ों को पकड़ कर ले गया है वह मार मार कर उन्हें पालतू बना रहा है और उन्हें
ठीक से खाने को घास तक नहीं देता इसलिए तुम्हें उसकी बातों में नहीं आना चाहिए मेरा दोस्त ऐसा नहीं है आप उससे मिलेगें तो जान जायेगें बादल ने कहा तो ठीक है मैं एक बार उससे मिलता हूँ यदि मुझे वह अच्छा नहीं लगा तो तुम्हें उससे दोस्ती तोड़नी पड़ेगी यदि फिर भी तुम नहीं माने तो हम लोग यह स्थान हमेशा के लिए छोड़ कर कहीं दूर चले जायेंगे राजा ने कहा मुझे स्वीकार है पर मैं जानता हूँ कि ऐसी नौबत कभी नहीं आयेगी अगले दिन बादल ज्ञान देव को अपनी पीठ पर बिठा कर अपने राजा के पास ले आया ज्ञान देव ने अपने पिता से सिखी हुई कई अच्छी अच्छी बातें राजा को बताई उससे मिल कर राजा बहुत प्रसन्न हुआ उसने कहा कि तुम्हें केवल बादल ही नहीं इसके दूसरे साथियों से भी दोस्ती करनी चाहिए बादल को इसमें क्या आपत्ति हो सकती थी अब उसके बहुत सारे दोस्त बन गए अब तो ज्ञान देव का समय मजे से कटने लगा वह बादल की पीठ पर बैठ कर दूर दूर तक जंगल की सैर करता और नए-नए जानवरों के विषय में जानकारी प्राप्त करता नए-नए दोस्त बनाता बादल ने उसे बताया कि पड़ोस का राजा बहुत अत्याचारी है इसीलिए हमारा राजा उससे घृणा करता है तुम ऐसा कोई काम मत करना जो हमारे राजा को अच्छा न लगे ज्ञान देव ने कहा ऐसा कभी नहीं होगा बल्कि कभी मौका मिला तो मैं उस राजा को समझाने का प्रयास करूँगा कि वह अपने घोड़ों का अच्छी तरह से पालन-पोषण करे और उन्हें ठीक से दाना पानी दे रात को ज्ञान देव ने अपने पिता को घोड़ों के राजा के साथ हुई अपनी भेंट के बारे में बताया उसने कहा कि एक आदमी के क्रूर व्यवहार के कारण घोड़े पूरी मानव जाति से घृणा करने लगे हैं धर्म दास ने कहा तुम चिन्ता न करो मैं कल ही उस राजा के दरबार में जाने वाला हूँ यदि संभव हुआ तो मैं इस विषय में कुछ करने का प्रयास करूँगा वास्तव में धर्म दास गाँव गाँव जा कर ज्ञान बाँटते थे बदले में जो भी कुछ भी मिलता उससे उनका गुजारा भली भाँति हो जाता था बहुत से लोग धर्म दास को दान अथवा भीख देने का प्रयास करते थे परन्तु धर्म दास उसे कभी भी स्वीकार नहीं करता था उसका कहना था कि यदि मेरी बात अच्छी लगे और उसे तुम ग्रहण करो तो फिर जो चाहो दे दो परन्तु भीख में मुझे कुछ नहीं चाहिए कुछ लोग धर्म दास की बातों से चिढ़ते थे उन्होंने राजा को शिकायत की कि धर्म दास राजा के विरुद्ध जनता को भड़काता है इसीलिए राजा ने उसे दरबार में हाजिर होने के लिए कहा था जब धर्म दास राजा के दरबार में पहुँचा तो वह बहुत ही क्रोध में था वास्तव में सुबह जब वह घुड़सवारी के लिए निकला था तो उसने अपने घोड़े को जोर से चाबुक मार कर तेज दौड़ाने का प्रयास किया था चाबुक की चोट से तिलमिलाए घोड़े ने उसे अपनी पीठ से गिरा दिया था उससे राजा को कुछ चोट भी लगी थी धर्म दास को देखते ही वह बोला सुना है तुम हमारी प्रजा को हमारे विरुद्ध भड़काते हो उन्हें कहते हो कि हमारा आदेश न मानो क्यों न तुम्हें राजद्रोह के लिए कड़ा दंड दिया जाए धर्म दास ने कहा राजन् मैंने कभी भी किसी को आपके विरुद्ध नहीं भड़काया हाँ इतना जरूर कहा है कि अन्याय का साथ मत दो
अन्याय और अत्याचार करने वाले का विरोध करो भले ही वह राजा ही क्यों न हो अत्याचार चाहे किसी मानव पर हो अथवा किसी दूसरे प्राणी पर चाहे किसी दरबारी पर हो चाहे घोड़े पर मुझे ज्ञात हुआ है कि आप अपने घोड़ों पर बहुत अधिक अत्याचार करते हैं घोड़ों का नाम सुनते ही राजा का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया वह बोला तो जो हमने सुना था वह ठीक ही था तुम यहाँ घोड़ों की वकालत करने आए हो मैंने सुना है तुम्हारे बेटे की बहुत दोस्ती है घोड़ों से मेरे बेटे के तो जंगल के सब जानवर दोस्त हैं वह सबसे प्यार करता है किसी को नहीं सताता धर्म दास ने कहा तुम मेरी प्रजा हो कर मुझ से जुबान लड़ाते हो इतना कह कर राजा ने अपने सिपाहियों को आदेश दिया कि धर्म दास को हिरासत में ले लिया जाए उस पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाए जब ज्ञान देव को इसके विषय में ज्ञात हुआ तो वह बहुत ही दु:खी हुआ परन्तु वह कर ही क्या सकता था वह तो स्वयं ही अभी छोटा था उसने अपनी पीड़ा बादल को बताई बादल बोला तुम्हारे पिता जी को यह दंड हमारे कारण दिया जा रहा है
हम ही इस समस्या का कोई समाधान निकालेगें तुम बिल्कुल चिन्ता न करो ज्ञान देव हुत चिन्तित रहने लगा एक दिन उसका मन बहलाने के लिए बादल उसे लेकर दूर जंगल में निकल गया वहाँ उसका सामना एक शेर से हो गया शेर को देख कर ज्ञान देव बहुत डर गया बादल ने कहा तुम चिन्ता मत करो शेर तुम्हारा बाल भी बाँका नहीं कर पायेगा अपने मित्र की रक्षा के लिए मैं शेर से लड़ने में भी पीछे नहीं हटूँगा शेर ने उसकी बात सुन ली उसका मजाक बनाते हुए बोला तुम कौन से जंगल की घास खा कर मेरा मुकाबला करोगे मैं तुम्हें कच्चा ही चबा जाऊँगा मत भूलो मैं इस जंगल का राजा हूँ बादल ने कहा अपने दोस्त के जीवन की रक्षा करना मेरा धर्म है ज्ञान देव ने भी शेर को कहा कि हमारा आपसे कोई वैर नहीं फिर आप क्यों झगड़ा करना चाहते हैं शेर ने कहा मैं इसका घंमड तोड़ना चाहता हूँ कि यह मेरा मुकाबला कर सकता है तो ठीक है साहस है तो खुले मैदान में आ जाओ यह मानव हमारा फैसला करेगा कि मुकाबले में कौन हारा और कौन विजयी हुआ बादल ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा शेर ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली तीनों एक खुले मैदान में पहुँच गए बादल ने ज्ञानदेव को एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ा दिया फिर कहा जब तक मैं न कहूँ इस पेड़ पर से नीचे मत उतरना यहीं से तमाशा देखना इतना कह कर उसने शेर को ललकारा और घृणा से अपना मुँह उलटी दिशा में घुमा लिया शेर ने कहा लड़ना है तो सामने से मुकाबला करो अभी से पीठ क्यों दिखा रहे हो इतना कह कर शेर उसके समीप आया ही था कि बादल ने एक जोरदार दुलत्ती मारी कि वह कई गज दूर जा गिरा गुस्से में शेर गुर्राता हुआ उसकी ओर लपका अब तो बादल यह जा और वह जा बादल तो जैसे उड़ रहा था और शेर उसकी धूल तक को पकड़ नहीं पा रहा था ज्यों ही अवसर मिलता बादल अचानक रुकता और शेर के समीप आते ही उस पर एक जोरदार दुलत्ती जड़ देता कभी शेर का जबड़ा घायल होता और कभी कोई पंजा कुछ ही देर में शेर हाँफने लगा बादल के एक भी वार का वह ठीक से उत्तर नहीं दे पाया अपनी लातों से मरम्मत
करता हुआ बादल उसे उस पेड़ के नीचे ले आया जिस पर ज्ञानदेव बैठा था बादल अपनी टापों से उसे मारने ही जा रहा था कि ज्ञान देव ने उसे रोक दिया ज्ञानदेव ने कहा नहीं नहीं इसे मारना नहीं चाहिए बल्कि इससे दोस्ती करनी चाहिए हारा हुआ प्रतिद्वंद्वी भी शरणागत के समान होता है शरणागत को भी मारना नहीं चाहिए मेरे पिता जी कहते हैं कि यह धर्म के विरुद्ध है शेर ने भी हाथ जोड़ते हुए कहा मुझ से गलती हो गई मुझे भी अपनी शक्ति पर इतना घमंड नहीं करना चाहिए था ख़ैर आज से मैं भी तुम्हारा दोस्त हूँ किसी दिन मैं भी तुम्हारे काम आऊँगा इतना कह कर वे अपने अपने रास्ते पर चले गए कुछ दिन बाद फिर तीनों एक स्थान पर मिल गए ज्ञान देव को उदास देख कर शेर ने उसकी उदासी का कारण पूछा बादल ने उसे सारी कथा कह सुनाई शेर ने कहा वह राजा बहुत ही अत्याचारी है जंगल में आ कर नाहक ही कितने ही जानवरों को मार डालता है जब तक मुझे सूचना मिलती है वह घोड़े पर सवार हो कर भाग निकलता है यदि तुम साथ दो तो मैं उसे सबक सिखा सकता हूँ बादल ने कहा मुझे भी राजा से बदला लेना है तीनों ने मिल कर एक योजना बनाई और अगली बार राजा के जंगल में आने की प्रतीक्षा करने लगे एक दिन राजा जंगल में शिकार खेलने आया योजना के अनुसार बादल ने उसके घोड़े को कहा कि जब शेर उसे आस पास लगे तो वह राजा को घोड़े से गिरा दे राजा के घोड़े को तो पहले से ही राजा पर गुस्सा था वह बिना बात ही उस पर चाबुक चलाता रहता था ज्यों ही घोड़े को शेर की गुर्राहट सुनाई दी वह वहीं पर खड़ा हो गया राजा के चाबुक मारने पर भी वह टस से मस नहीं हुआ ज्यों ही उसे शेर समीप आता दिखाई दिया उसने राजा को जमीन पर गिरा दिया वह स्वयं आ कर बादल के पास खड़ा हो गया शेर ने एक ही झपटे में राजा का काम तमाम कर दिया जब राजधानी में अत्याचारी राजा के मरने का समाचार पहुँचा तो चारों ओर खुशियाँ मनाई जाने लगी युवराज बहुत ही दयालु स्वभाव का युवक था वह अपने पिता को बार बार अत्याचार न करने की सलाह देता रहता था परन्तु राजा उसकी बात नहीं मानता था राजा बनते ही उसने सारे निरापराध लोगों को कैद से मुक्त कर दिया धर्म दास के गुणों का आदर करते हुए उसने उन्हें राज पुरोहित के रूप में सम्मानित करके राजधानी में ही रहने का आग्रह किया ज्ञान देव के कहने पर नए राजा ने जानवरों का शिकार करने पर रोक लगा दी सब लोग सुखपूर्वक रहने लगे