सुगौली सन्धि
Sugoli Treaty
सुगौली सन्धि 19वीं सदी के शुरुआती दौर में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी और नेपाल के मध्य हुई थी। यह सन्धि 4 मार्च, 1816 ई. को सम्पन्न हुई। सन्धि में यह प्रावधान था कि, काठमांडू में एक ब्रिटिश प्रतिनिधि को नियुक्त किया जायेगा। इसके साथ ही ब्रिटेन को अपनी सैन्य सेवाओं में गोरखाओं की नियुक्ति का भी अधिकार मिल गया।
1816 ई. में हुई इस सन्धि के मसौदे पर नेपाल की ओर से राजगुरु गजराज मिश्र और अंग्रेज़ों की ओर से लेफ़्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रैडशॉ ने दस्तखत किए।
इस सन्धि के साथ ही अंग्रेज़ों व नेपालियों के बीच वर्ष 1814 ई. से चली आ रही जंग का अंत हो गया।
सन्धि के तहत नेपाल को अपना एक-तिहाई इलाका ‘ब्रिटिश भारत’ के अधीन कर देना पड़ा।
इस इलाके में पूर्वी छोर पर स्थित दार्जिलिंग व तिस्ता; दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में बसे नैनीताल; पश्चिमी छोर पर बसे कुमाऊँ, गढ़वाल के अलावा कुछ तराई इलाके भी शामिल थे।
सन्धि के अनुसार काठमांडू में एक ब्रिटिश प्रतिनिधि की नियुक्ति तथा ब्रिटेन की सैन्य सेवाओं में गोरखाओं की नियुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त हो गया।
वर्ष 1923 ई. में सुगौली सन्धि के स्थान पर ‘सतत शांति व मैत्री संधि’ के नाम से एक नई संधि की गई।