Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Budhimatta Ki Pariksha” , “बुद्धिमत्ता की परीक्षा” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

बुद्धिमत्ता की परीक्षा

Budhimatta Ki Pariksha

 

 

एक बार पोर्ट नदी के किनारे एक सुंदर राज्य बसा था | राज्य का नाम था लीगोलैंड | लीगोलैंड में इवानुश्का नाम का राजा राज्य करता था | राजा अपनी विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध था |

 

एक दिन लीसा नाम का एक व्यक्ति राजा इवानुश्का के दरबार में आया | कहने लगा – हे राजन, मैं आपके दरबार में नौकरी प्राप्त करने की इच्छा से आया हूं, आप जो भी काम मुझे दें मैं करने को तैयार हूं | वैसे मैं पढ़ा-लिखा युवक हूं |

 

राजा बोला – हम तुम्हारी परीक्षा लिए बिना तुम्हें नौकरी नहीं दे सकते, यदि तुम हमारे यहां नौकरी करना चाहते हो तो हमारे दरबार में सुबह ही हाजिर हो जाना | परंतु याद रहे कि तुम कोई भी उपहार हमारे लिए नहीं लाना, लेकिन बिना उपहार लिए खाली हाथ भी मत आना | सारे दरबारी राजा का मुंह देखने लगे |

 

लीसा ने सिर झुकाकर कर अभिवादन किया और ‘जो आज्ञा’ कह कर चला गया |

 

अगले दिन लीसा दरबार में उपस्थित हुआ तो उसके हाथ में एक सफेद कबूतर था | राजा के सामने पहुंच कर लीसा बोला – राजन, यह लीजिए मेरा उपहार | यह कहकर कबूतर राजा की ओर बढ़ा दिया | परंतु ज्यों ही राजा ने हाथ बढ़ाया, कबूतर उड़ गया |

 

राजा ने कहा – पहली परीक्षा में तुम सफल हुए हो | इसके पश्चात् राजा ने धागे का एक छोटा-सा टुकड़ा लीसा को देते हुए कहा – कल हमारे लिए इस धागे से आसन बुन कर लाना | हम उसी आसन पर बैठेंगे |

 

लीसा ने धागा लिया और ‘जो आज्ञा राजन !’ कहकर चल दिया | सारे दरबारी इस बार लीसा को देखने लगे और सोचने लगे कि यह व्यक्ति तो निरा मूर्ख लगता है |

 

पर शाम को लीसा ने राजा के नौकरों के हाथ एक सींक भिजवाई और कहलाया – इसका बना चरखा रात तक मेरे पास पहुंचवा दीजिए | सुबह मैं आसन लेकर आ आऊंगा | राजा लीसा का मतलब समझ गया | अगले दिन राजा ने अपने सिपाहियों के हाथ कुछ फूलों के बीज भेजे और कहलवाया – कल सुबह इन बीजों से उगे फूल खिलते पौधे लेकर हाजिर हो जाओ |

 

लीसा ने सिपाहियों को दो गत्ते के डिब्बे दिए और राजा के पास संदेश भिजवाया – राजन मैं बहुत गरीब आदमी हूं | इन डिब्बों में से एक में धूप और एक में हवा भर कर भिजवा दीजिए | फूल खिल जाएंगे और मैं लेकर दरबार में हाजिर हो जाऊंगा |

 

राजा, मंत्री व दरबारी लीसा की चतुराई से प्रसन्न हो गए थे | सभी ने लीसा को नौकरी देने की राजा इवानुश्का को सलाह दी |

 

पर राजा हार मानने को तैयार न था | राजा ने सोचा एक बार मैं लीसा की परीक्षा और ले लूं, तभी उसे कोई अच्छी नौकरी दूं | राजा ने अपनी सिपाहियों से लीसा के पास सूचना भिजवाई – राजा का आदेश है कि तुम सुबह राजा के दरबार में हाजिर हो | लेकिन न तुम पैदल दरबार में आओ और न ही घोड़े पर | न तुम वस्त्र पहन कर दरबार में आओ और न ही नंगे बदन |

 

राजा की इस शर्त से सभी दरबारी व सिपाही सकते में आ गए | वे सोचने लगे लगे कि आज राजा की सूचना पाकर लीसा रातों-रात राज्य छोड़कर भाग जाएगा | वे सोच रहे थे कि शायद राजा इवानुश्का को लीसा की बुद्धिमत्ता पर शक है और उसको नौकरी नहीं देना चाहते हैं | इसी कारण ऐसी अटपटी शर्त रखी है |

 

परंतु उनकी कल्पना के विपरीत लीसा सुबह ही दरबार में हाजिर हुआ | वह कछुए पर सवार होकर दरबार में पहुंचा था | सभी दरबारियों की निगाह लीसा पर ठहरी हुई थी | लीसा ने अपने शरीर पर मछली पकड़ने का जाल ओढ़ा हुआ था |

 

लीसा ने जाकर राजा को झुककर प्रणाम किया | राजा बोले – लीसा, तुम सचमुच बुद्धिमान हो | तुमने मेरी उन शर्तों को पूरा कर दिखाया जिन शर्तों को सुनकर मेरे अपने दरबारियों व मंत्रियों का सिर नीचा हो गया | मैं तुम्हें आज से ही अपना प्रमुख सलाहकार व मंत्री नियुक्त करता हूं |

 

सारा दरबार तालियों से गूंज उठा | सारे राज्य में हर ओर लीसा की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा हो रही थी |

 

 

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