नूरजहाँ से जहांगीर का विवाह
Nurjaha se Jahangir ka vivah
जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त वर्ष 1569 में फतेहपुर सीकरी में हुआ था। जहांगीर अकबर का बेटा था। इसलिए अकबर ने अपनी औलाद का नाम मुहम्मद सलीम रखा। जवान राजकुमार सलीम को पढ़ाई के लिए वर्ष 1573 में फतेहपुर सीकरी भेजा गया। उसे परशियन, टर्किश, अरेबियन, हिंदी, इतिहास, भूगोल तथा गणित पढ़ाया गया। इसी कारण वह एक अच्छा शिक्षित युवक बन गया। अकबर के देहांत के बाद जहाँगीर ने राज सम्भाला। यह सब 3 नवम्बर वर्ष 1605 में आगरा के किले में हुआ। उसने राजकुमुट स्वयं अपने सर पर रखा और ‘नूर मुहम्मद जहाँगीर बादशाह -ए-गाजी के नाम से जाना गया।
जैसे उसके पिता को आगरा से लगाव था उसी प्रकार जहाँगीर को भी आगरा से प्यार था लेकिन अकबर और जहाँगीर में काफी फर्क था। अकबर को शानदार इमारतें बनाने का शौक था तो जहाँगीर को चित्रकारी का। लेकिन फिर भी जहांगीर ने अधूरी इमारत सिकन्दरा पूरी की और कुछ और इमारतें बनवाई। यह कहावत है की बचपन में उसे एक खुबसूरत लड़की मेरुनिसा से प्यार हो गया था और वो उससे शादी करना चाहता था। लेकिन उसके पिता अकबर इस शादी के खिलाफ थे और इसी कारण उन्होंने उसकी शादी शेर अफगान से कर दी और उसे बिहार का गवर्नर बना दिया। जहाँगीर ने शेर अफगान को मार डाला और बाद में उसने ‘नूरमहल ‘ से वर्ष 1911 में शादी कर ली। जिसे जहाँगीर नूरजहाँ कहा करते थे, जिसका अर्थ है सारी दुनिया की रोशनी!
जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने ‘नूरजहाँ ‘ पर सारी जिम्मेदारियां थोप दी और वह सिर्फ नाम के राजा बन कर रह गये। नूरजहाँ को चित्रकारी तथा कविता लिखने का शौक था। नूरजहाँ अपने माता पिता के ज्यादा करीब थी। उसके पिता के देहांत के उपरान्त उसने एक सुंदर इमारत यमुना नदी के पूर्वी तट पर बनवाई, और उसका नाम इतमत-उद-दौला रखा। यह एक सुंदर कब्र है जोकि सफेद संगमरमर से बनी है