पिट्स अधिनियम
Pits Adhiniyam
1784 के पिट्स इंडिया अधिनियम ने गवर्नर की सहायता के लिए विधायी शक्तियों वाले एक कार्यकारी परिषद का गठन किया था. परिषद शुरुआत में चार सदस्यों का था जिनमें से दो सदस्य भारतीय सिविल सेवा या अनुबंधित सिविल सेवा से थे और तीसरा सदस्य एक विशिष्ट भारतीय था. चौथा सदस्य मद्रास आर्मी का कमांडर-इन-चीफ था. 1895 में जब मद्रास आर्मी को समाप्त कर दिया गया तब परिषद के सदस्यों की संख्या घटकर तीन रह गयी थी. इस परिषद की विधायी शक्तियां वापस ले ली गयी थीं और इसका दर्जा घटकर सिर्फ एक सलाहकार निकाय का रह गया था. हालांकि 1861 के भारतीय परिषद अधिनियम के अनुसार इन शक्तियों को फिर से बहाल कर दिया गया. सरकारी और गैर-सरकारी सदस्यों को शामिल कर समय-समय पर परिषद का विस्तार किया गया और 1935 तक इसने मुख्य विधायी निकाय के रूप में सेवा की, जब एक और अधिक प्रतिनिधि प्रकृति वाली विधानसभा का गठन किया गया और विधायी शक्तियां विधानसभा को स्थानांतरित कर दी गयीं. 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता के अवसर पर गवर्नर के तीन सदस्यीय कार्यकारी परिषद को समाप्त कर दिया गया.