पुरापाषाण काल
Purashan Kal
यूनानी भाषा में Palaios प्राचीन एवं Lithos पाषाण के अर्थ में प्रयुक्त होता था। इन्हीं शब्दों के आधार पर Paleolithic Age (पाषाणकाल) शब्द बना । यह काल आखेटक एवं खाद्य-संग्रहण काल के रूप में भी जाना जाता है। अभी तक भारत में पुरा पाषाणकालीन मनुष्य के अवशेष कहीं से भी नहीं मिल पाये हैं, जो कुछ भी अवशेष के रूप में मिला है, वह है उस समय प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर के उपकरण। प्राप्त उपकरणों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ये लगभग 2,50,000 ई.पू. के होंगे। अभी हाल में महाराष्ट्र के ‘बोरी’ नामक स्थान खुदाई में मिले अवशेषों से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस पृथ्वी पर ‘मनुष्य’ की उपस्थिति लगभग 14 लाख वर्ष पुरानी है। गोल पत्थरों से बनाये गये प्रस्तर उपकरण मुख्य रूप से सोहन नदी घाटी में मिलते हैं।
सामान्य पत्थरों के कोर तथा फ़्लॅक्स प्रणाली द्वारा बनाये गये औजार मुख्य रूप से मद्रास, वर्तमान चेन्नई में पाये गये हैं। इन दोनों प्रणालियों से निर्मित प्रस्तर के औजार सिंगरौली घाटी, मिर्ज़ापुर एंवं बेलन घाटी, इलाहाबाद में मिले हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल नगर के पास भीम बेटका में मिली पर्वत गुफायें एवं शैलाश्रृय भी महत्त्वपूर्ण हैं। इस समय के मनुष्यों का जीवन पूर्णरूप से शिकार पर निर्भर था। वे अग्नि के प्रयोग से अनभिज्ञ थे। सम्भवतः इस समय के मनुष्य नीग्रेटो Negreto जाति के थे। भारत में पुरापाषाण युग को औजार-प्रौद्योगिकी के आधार पर तीन अवस्थाओं में बांटा जा एकता हैं। यह अवस्थाएं हैं-
पुरापाषाण कालीन संस्कृतियां
- निम्न पुरापाषाण काल : हस्तकुठार Hand-axe और विदारणी Cleaver उद्योग
- मध्य पुरापाषाण काल : शल्क (फ़्लॅक्स) से बने औज़ार
- उच्च पुरापाषाण काल : शल्कों और फ़लकों (ब्लेड) पर बने औजार
पूर्व पुरापाषाण काल के महत्त्वपूर्ण स्थल हैं –
- पहलगाम – कश्मीर
- वेनलघाटी – इलाहाबाद ज़िले में, उत्तर प्रदेश
- भीमबेटका और आदमगढ़ – होशंगाबाद ज़िले में मध्य प्रदेश
- 16 आर और सिंगी तालाब – नागौर ज़िले में, राजस्थान
- नेवासा – अहमदनगर ज़िले में महाराष्ट्र
- हुंसगी – गुलबर्गा ज़िले में कर्नाटक
- अट्टिरामपक्कम – तमिलनाडु
मध्य पुरापाषाण युग के महत्त्वपूर्ण स्थल हैं
- भीमबेटका
- नेवासा
- पुष्कर
- ऊपरी सिंध की रोहिरी पहाड़ियाँ
- नर्मदा के किनारे स्थित समानापुर
पुरापाषाण काल में प्रयुक्त होने वाले प्रस्तर उपकरणों के आकार एवं जलवायु में होने वाले परिवर्तन के आधार पर इस काल को हम तीन वर्गो में विभाजित कर सकते हैं।-
- निम्न पुरा पाषाण काल (2,50,000-1,00,000 ई.पू.)
- मध्य पुरापाषाण काल (1,00,000- 40,000 ई.पू.)
- उच्च पुरापाषाण काल (40,000- 10,000 ई.पू.)