Category: Hindi Poems
पुनर्नवा Punarva दर्पण नहीं स्वयं को देख रही हूँ तुम्हारी आँखों से! .. ऐसे देखा नहीं था कभी नई-सी लग रही हूँ अपने आप को . तुम्हारी दृष्टि …
गौरी-शंकर Gauri shankar एक बार भोले शंकर से बोलीं हँस कर पार्वती, ‘चलो जरा विचरण कर आये,धरती पर कैलाशपती! विस्मित थे शंकर कि उमा को बैठे-ठाले क्या सूझा, …
समर-शेष Samar shesh मत छीनो मुझसे ये शब्द! धरोहर है पीढ़ियों की . शताब्दियों की, सहस्राब्दियों की. बहुत कुछ खो चुकी हैं आनेवाली पीढ़ियाँ, अब ग्रहण करने दो …
ससुरारै में निदिया सताये रे! Sasurare me nindiya sataye re ससुरारै में निदिया सताये रे, जी भर के कबहुँ ना सोय पाय रे मोरी अक्कल चरै का चलि …
ओ रे, सावन इस बार जरा जल्दी आना! O re sawan is baar jara jaldi aana आ रही याद जाने कितनी उस आँगन की, क्या पता कहीं कुछ …
छिनाय गयो हमरो ही नाम Chinay gyo hamro hi naam आजु तो न्योति के बिठाई रे कन्या हलवा पूरी औ’पान सोई बिटेवा,परायी अमानत, चैन गा सब का पलान! …
जन्म Janam यवनिकाओं खिंचे रहस्यलोक में ढल रहीं अजानी आकृति की निरंतर उठा-पटक, जीवन खींचता विकसता अंकुर कितनी भूमिकाओं का निर्वाह एक साथ नए जन्म की पूर्व-पीठिका . …
अश्वत्थामा Ashwathama जरा सा घी दे दे माई!जरा सा माई दे दे घी! मारता टीस घाव मेरा! प्रभू कल्याण करे तेरा! जरा सा.. घरनिया निकली घर में से, …