Hindi Poem of Bashir Badra “Khwab in aankho se ab koi chura kar le jaye”,”ख़्वाब इन आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाये” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ख़्वाब इन आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाये

 Khwab in aankho se ab koi chura kar le jaye

ख़्वाब इस आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाये

क़ब्र के सूखे हुये फूल उठा कर ले जाये

मुंतज़िर[1] फूल में ख़ुश्बू की तरह हूँ कब से

कोई झोंकें की तरह आये उड़ा कर ले जाये

ये भी पानी है मगर आँखों का ऐसा पानी

जो हथेली पे रची मेहंदी उड़ा कर ले जाये

मैं मोहब्बत से महकता हुआ ख़त हूँ मुझ को

ज़िन्दगी अपनी किताबों में दबा कर ले जाये

ख़ाक इंसाफ़ है नाबीना[2] बुतों के आगे

रात थाली में चिराग़ों को सजा कर ले जाये

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