मानव
Manav
जब किलका को मादकता में
हंस देने का वरदान मिला
जब सरिता की उन बेसुध सी
लहरों को कल कल गान मिला
जब भूले से भरमाए से
भर्मरों को रस का पान मिला
तब हम मस्तों को हृदय मिला
मर मिटने का अरमान मिला।
पत्थर सी इन दो आंखो को
जलधारा का उपहार मिला
सूनी सी ठंडी सांसों को
फिर उच्छवासो का भार मिला
युग युग की उस तन्मयता को
कल्पना मिली संचार मिला
तब हम पागल से झूम उठे
जब रोम रोम को प्यार मिला