Hindi Poem of Divik Ramesh “Patni to nahi he na hum aapki”,”पत्नी तो नहीं हैं न हम आपकी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पत्नी तो नहीं हैं न हम आपकी

 Patni to nahi he na hum aapki

नहीं लिखा गया तो

एक ओर रख दिया कागज

बंद कर दिया ढक्कन पेन का

और बैठ गया लगभग चुप

माथा पकड़ कर।

‘रूठ गए क्या?’,

आवाज आई अदृश्य

हिलते हुए

एक ओर रखे कागज से,

‘हमें भी तो मिलनी चाहिए न कभी छुट्टी।

पत्नी तो नहीं हैं न हम आपकी!’

बहुत देर तक सोचता रहा मैं

सोचता रहा-

पत्नी से क्यों की तुलना

कविता ने?

करता रहा देर तक हट हट

गर्दन निकाल रहे

अपराध बोध को।

खोजता रह गया कितने ही शब्द

कुतर्कों के पक्ष में।

बचाता रहा विचारों को

स्त्री विमर्श से।

पर कहाँ था इतना आसान निकलना

कविता की मार से!

रह गया बस दाँत निपोर कर–

कौन समझ पाया है तुम्हें आज तक ठीक से

कविता?

‘पर

समझना तो होगा ही न तुम्हें कवि।’

आवाज फिर आई थी

और मैं देख रहा था

एक ओर पड़ा कागज

फिर हिल रहा था।

 

 

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