Hindi Poem of Ghalib “Phir hua waqt ki ho baal kusha mouje-sharab , “फिर हुआ वक़्त कि हो बाल कुशा मौजे-शराब ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

फिर हुआ वक़्त कि हो बाल कुशा मौजे-शराब – ग़ालिब

Phir hua waqt ki ho baal kusha mouje-sharab -Ghalib

 

फिर हुआ वक़्त कि हो बालकुशा[1]मौजे-शराब[2]
दे बते मय[3]को दिल-ओ-दस्ते शना[4] मौजे-शराब

पूछ मत वजहे-सियहमस्ती[5]-ए-अरबाबे-चमन[6]
साया-ए-ताक[7] में होती है हवा मौजे-शराब

है ये बरसात वो मौसम कि अजब क्या है अगर
मौजे-हस्ती[8] को करे फ़ैज़े-हवा[9] मौजे शराब

जिस क़दर रूहे-नबाती[10] है जिगर तश्ना-ए-नाज़[11]
दे है तस्कीं[12]ब-दमे- आबे-बक़ा [13] मौजे-शराब

बस कि दौड़े है रगे-ताक[14] में ख़ूँ हो-हो कर
शहपरे-रंग [15] से है बालकुशा[16] मौजे-शराब

मौज-ए-गुल[17] से चराग़ाँ[18] है गुज़रगाहे ख़याल[19]
है तसव्वुर[20] में जिबस[21] जल्वानुमा मौजे-शराब

नश्शे के पर्दे में है मह्वे[22] तमाशा -ए-दिमाग़
बस कि रखती है सरे- नश-ओ-नुमा[23] मौजे शराब

एक आलम[24] पे है तूफ़ानी-ए-कैफ़ीयते-फ़स्ल[25]
मौज -ए-सब्ज़ा-ए-नौख़ेज़[26] से ता मौजे-शराब

शरहे[27] -हंगामा-ए-हस्ती[28] है, ज़हे[29]मौसमे-गुल
रहबरे-क़तरा ब-दरिया[30] है ख़ुशा[31]मौजे-शराब

होश उड़ते हैं मेरे जल्वा-ए-गुल[32] देख असद
फिर हुआ वक़्त कि हो बालकुशा मौजे-शराब

 

शब्दार्थ:

1 बाल खोले
2 मदिरा की धारा
3 मदिरा पात्र
4 हृदय व हाथ की शक्ति
5 नशे में धुत्त होने का कारण
6 माली
7 अंगूर की बेल की छाँव
8 जीवन धारा
9 वायु का आनंद
10 वनस्पति की आत्मा
11 गर्वपूर्ण प्यास
12 तसल्ली
13 अमृत की बूँद की तरह
14 अंगूर की रग
15 रंगीन पंख
16 बाल खोले हुए
17 पुष्प लहर
18 प्रदीप्त
19 कल्पनाओं की राह
20 कल्पना
21 अत्याधिक
22 छुपा हुआ
23 विकास
24 स्थिति
25 वसंत के आने की उमंग
26 नवोदित हरियाली की बहार
27 व्याख्या
28 जीवन की चहल-पहल
29 धन्य
30 बूँद को नदी तक ले जाने वाला
31 बहुत अच्छा
32 फूल की बहार

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