तुम न आए तो क्या सहर न हुई – ग़ालिब
Tum na aaye to kya shar na hui -Ghalib
तुम न आए तो क्या सहर[1] न हुई
हाँ मगर चैन से बसर[2] न हुई
मेरा नाला[3]सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
शब्दार्थ:
1 प्रात:
2 गुज़रना
3 रोना-धोना, शिकवा
तुम न आए तो क्या सहर न हुई – ग़ालिब
Tum na aaye to kya shar na hui -Ghalib
तुम न आए तो क्या सहर[1] न हुई
हाँ मगर चैन से बसर[2] न हुई
मेरा नाला[3]सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
शब्दार्थ:
1 प्रात:
2 गुज़रना
3 रोना-धोना, शिकवा