Hindi Poem of Pradeep’“Hum laye he tufaan se kisti nikal ke, “हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के” Complete Poem for Class 10 and Class 12

हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के – प्रदीप

Hum laye he tufaan se kisti nikal ke -Pradeep

 

हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के

 पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के

 अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के

 मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के

 सदियों के बाद फ़िर उड़े बादल गुलाल के

 हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

 तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

 देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा

 इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा

 रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

 दुनियाँ के दांव पेंच से रखना न वास्ता

 मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता

 भटका न दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

 एटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनियाँ

 बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनियाँ

 तुम हर कदम उठाना जरा देखभाल के

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

 आराम की तुम भूल-भुलैया में न भूलो

 सपनों के हिंडोलों में मगन हो के न झूलो

 अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलों

 उठो छलांग मार के आकाश को छू लो

 तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के

 इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के

 

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