Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Ahankar Bura” , “अहंकार बुरा” Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

अहंकार बुरा

Ahankar Bura

 

 

एक तालाब में दो मगरमच्छ रहते थे| एक मेंढक से उनकी दोस्ती हो गई| इस प्रकार वे तीनों तालाब में रहने लगे ओर अपना दुख-सुख कहकर मन बहलाते रहते| मेंढ़क को यह पता नहीं था कि इन दोनों मगरमच्छों में से एक मन्दबुद्धि और दूसरा अहंकारी है|

 

एक दिन वे तीनों तालाब के किनारे बैठे बातचीत कर रहे थे कि एक शिकारी हाथ में जाल ओर सिर पर बहुत सी मछलियां रखे आया ओर तालाब की ओर देखकर बोला, यहां तो काफी मछलियां लगती हैं, इन्हें कल आकर पकडूंगा|

 

शिकारी के जाने के पश्चात् तीनों मित्र सोच में पड़ गए| मेंढ़क ओर तेज बुद्धि मच्छ से बोले कि हमें यहां से भाग जाना चाहिए|

 

लेकिन अहंकार से भरा मंदबुद्धि मच्छ बोला-नहीं, हम यहां से भागेंगे नहीं|

 

प्रथम तो वह आएगा नहीं, यदि आ गया तो मैं अपनी ताकत और बुद्धि से तुम्हारी रक्षा करुंगा| मन्द बुद्धि अपने मित्र की बात सुन झट से बोला|

 

हां…हां… मेरा मित्र ठीक कह रहा है| यह शक्तिशाली भी है और बलवान भी| तभी तो इसे अहंकार है| ठीक ही कहा जाता है बुद्धिमान के लिये ऐसा कोई काम नहीं जिसे वह न कर सके| दोनों सशस्त्र नन्दों का चाणक्य ने अपनी बुद्धि द्वारा नाश कर दिया था| जहां पर रवि की किरणें और वायु नहीं पहुंचती हैं इसलिए हम यहां से भागकर कहीं भी नहीं जाएंगे|

 

मेंढ़क उन दोनों की बातें सुनकर बोला मित्रों! मैं आपकी इस बात से सहमत नहीं, इसलिये मैं आज ही अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर भाग रहा हूं| यह कहकर मेंढ़क वहां से चला गया|

 

फिर एक दिन वह शिकारी आया और अपने जाल में फंसाकर उन दोनों मच्छों की हत्या कर दी और उन्हींकी खाल बेचकर धनवान बन गया|

 

इसलिए कहा गया है कि अपने से छोटों की बात को ध्यान से सुनना चाहिए|

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