Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Krodh ko jitney ka sahaj upay” , “क्रोध को जीतने का सहज उपाय” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

क्रोध को जीतने का सहज उपाय

Krodh ko jitney ka sahaj upay

भूदान- यज्ञ के दिनों की बात है| विनोबाजी की पद-यात्रा उत्तर प्रदेश में चल रही थी| उनके साथ बहुत थोड़े लोग थे| मीराबहन के आश्रम ‘पशुलोक’ से हम हरिद्वार आ रहे थे| विनोबाजी की कमर और पैर में चोट लगी थी, उन्हें कुर्सी पर ले जाया जाता था, पर बीच-बीच में वे कुर्सी से उतरकर पैदल चलने लगते थे|

एक दिन जब वे पैदल चल रहे थे तो एक भाई उनके पास आकर बोले – बाबा मुझे गुस्सा बहुत आता है| कैसे दूर करूं?

विनोबाजी ने कहा – बचपन में मुझे भी बहुत गुस्सा आता था| मैं अपने पास मिश्री रखता था जैसे ही गुस्सा आया कि मिश्री का एक टुकड़ा मुंह में डाल लिया| गुस्सा काबू में आ जाता था|

लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता था कि गुस्सा आ जाता था और मिश्री पास में नहीं होती थी|

तब आप क्या करते थे? उन भाई ने उत्सुकता से पूछा|

विनोबाजी ने कहा – तब मैंने सोचा कि ऐसे समय क्या किया जाए| सोचते-सोचते एक बात ध्यान में आई| जब हमारे मन के प्रतिकूल कोई चीज आती है तो हम एकदम उत्तेजित होते हैं| यदि पहले क्षण को हम टाल जाएं तो गुस्से को सहज ही जीत सकते हैं| हर्ष और विषाद से हम तभी अभिभूत होते हैं जबकि उनका पहला क्षण हम पर हावी हो जाता है| उस क्षण को टालना शुरू में थोड़ा कठिन होता है, लेकिन अभ्यास से वह बहुत आसान हो जाता है|

आगे विनोबाजी ने बताया कि इसका उन्होंने खूब अभ्यास कर लिया| बापू को गोली लगी, जमनालालजी का देहांत हुआ, किसी ने आकर खबर दी, लेकिन उनके मन पर इसका कोई असर नहीं हुआ| वे जो काम कर रहे थे, करते रहे, लेकिन विनोबाजी ने कहा – आगे जाकर लगा कि बापू और जमनालालजी के जाने से कितनी बड़ी क्षति हुई, किंतु पहले क्षण तो ऐसा रहा, जैसे कुछ हुआ ही न हो|

 

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