कीमती उपहार
Kimati uphar
एक राजा था, एक बार राजा अपने राजमहल के बगीचे में सैर कर रहा था, उसने देखा कि कोई आदमी दरवाजे पर खड़ा है, उसने दरवान से कहा कि वह उस आदमी के बारे में पता करे वह दरवाजे पर क्यों खड़ा है, दरवान ने दरवाजा खोला तो देखा एक आदमी एक मोटी ताज़ी मुर्गी लिए खड़ा था, दरवान ने उस आदमी से आने का कारण पूछा तो आदमी ने कहा, मैं राजा को यह मुर्गी देने आया हूँ, दरवान ने आदमी को राजा से मिलवा दिया, आदमी बोला, राजा जी राजा जी मैं ने आप के नाम पर यह मुर्गी जीती है,
यह मैं आप को देने आया हूँ, राजा ने कहा इसको मेरे मुर्गी खाने में देदो, आदमी मुर्गी देकर चला गया, कुछ दिनों बाद वह आदमी फिर से आया , इस बार वह अपने साथ एक बकरी लेकर आया था, उसने राजा से कहा राजा जी राजा जी इस बार में ने आप के नाम पर यह बकरी लगाई थी और मैं जीत गया, यह बकरी मैं आप को देने आया हूँ, राजा बहुत खुश हुवा, उसने कहा इस बकरी को मेरे बकरियों के झुण्ड में शामिल कर दो, वह आदमी बकरी देकर चला गया, वह आदमी कुछ हफ़्तों बाद फिर राजा के दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया इस बार उसके साथ दो आदमी और थे, दरवान ने उसको फिर राजा को मिलवा दिया, राजा ने आदमी से पूछा इसबार मेरे लिए क्या ले कर आये हो,
और तुम्हारे साथ ये दोनों कौन हैं, आदमी ने राजा से कहा, राजा जी राजा जी इस बार मैंने आपके नाम पर ५०० चाँदी के सिक्के लगाये थे और मैं हार गया हूँ, अब इन लोगों को ५०० चाँदी के सिक्के देने हैं, यह सुन कर राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया, पर वह उनको मना भी नहीं कर सकता था, क्यूँ कि उसने लेते समय मना नहीं किया था, उसने उन दोनों आदमियों को चाँदी के सिक्के देकर जाने को कह दिया, फिर राजा ने उस जुआरी आदमी से कहा आज के बाद तुम मेरे नाम पर कोई दाव नहीं लगाओगे, और ना ही कभी मेरे दरवाजे पर दिखोगे,
इस तरह राजा को अपनी गलती की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी,
इस लिए बगैर सोचे समझे किसी से कोई चीज नहीं लेनी चाहिए,