उत्तर का विशाल मैदान
Giant ground of North India
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति के पश्चात उसके दक्षिण तथा प्राचीन शैलों से निर्मित प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर में, दोनों उच्च स्थलों से निकलने वाली नदियों, सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, आदि द्वारा जमा की गई जलोढ़ मिट्टी के जमाव से उत्तर के विशाल मैदान का निर्माण हुआ है। इस मैदान को सिंधु-गंगा ब्रह्मपुत्र का मैदान भी कहते हैं। यह मैदान धनुषाकार रूप में 3200 किमी. की लम्बाई में देश के 7.5 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र पर विस्तृत हैं। इसकी चौड़ाई पश्चिम में 480 किमी तथा पूर्व में मात्र 145 किमी है। प्रादेशिक दृष्टि से उत्तरी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा तथा असम में इसका विस्तार हैं। इन मैदान को पश्चिमी तथा पूर्वी दो भाग में बांटा जाता है। पश्चिमी मैदान का अधिकांश भाग वर्तमान पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत में पड़ता है, जबकि इसका कुछ भाग पंजाब व हरियाणा राज्यों में भी मिलता है। इसका निर्माण, सतजल, व्यास तथा रावी एवं इनकी सहायक नदियों द्वारा किया गया है। पूर्वी मैदान का विस्तान उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल राज्यों में हैं, जिसका क्षेत्रफल 3.57 लाख वर्ग किमी. है। इस मैदान में धरातलीय भू-आकृति के आधार पर बांगर तथा खादर नामक दो विशेष भाग मिलते हैं। बांगर प्राचीनतम संग्रहीत पुरानी जलोढ़ मिट्टी के उच्च मैदानी भाग हैं, जहाँ कभी नदियों की बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता। खादर की गणना नवीनतम कछारी भागों के रूप में की जाती है। यहाँ पर प्रतिवर्ष बाढ़ का पानी पहुंचने एवं नयी मिट्टी का जमाव होने से काफ़ी ऊपजाऊ माने जाते हैं।
उत्तर के विशाल मैदान का प्रादेशिक विभाजन
उत्तर के विशाल मैदान को अनेक उपविभागों में बाँटा गया है, जिनमें प्रमुख हैं – पंजाब, हरियाणा का मैदान, राजस्थान का मेदान, गंगा का मैदान एवं ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी। गंगा के मैदान को हरिद्वार से अलीगढ़ तक ऊपरी दोआब तथा अलीगढ़ से इलाहाबाद तक मध्य दोआब के नाम से जाना जाता है। गंगा तथा यमुना दोआब के ऊत्तरी-मध्य उत्तर प्रदेश में स्थित भाग को रूहेलखण्ड का मैदान कहा जाता है। इस मैदान पर राम गंगा, शारदा तथा गोमती नदियाँ प्रवाहित होती है। उत्तर प्रदेश के उत्तरी पूर्वी भाग में अवध का मैदान स्थित हैं, जिसमें घाघरा, राप्ती तथा गोमती नदियाँ बहती है। गंगा के मैदान के उत्तरी-पूर्वी भाग में असम तक ब्रह्मपुत्र नदी का मैदान स्थित है, जो कि गारो पहाड़ी, मेघालय पठार तथा हिमालय पर्वत के बीच लम्बे एवं पतले रूप में फैला है। इसकी चौड़ाई मात्र 80 किमी. है। ब्रह्मपुत्र नदी घाटी की अवनतीय संरचना मे जमा किये गये अवसादों से इस मेदान में मियाण्डर, गोखुर झील, आदि का निर्माण हो गया है। इस मैदान के ढाल की दिशा दक्षिण-पश्चिम की ओर है तथा इसकी सीमा पर तराई एव अर्द्ध-तराई क्षेत्र मिलते हैं, जो दलदलो एवं सघन वनों से अच्छादित हैं
उत्तर के विशाल मैदान से सम्बन्धित दो प्रमुख शब्दावलियाँ हैं – भावर तथा तराई। ये अवसादी जमाव की विशेषताओं की परिचारक भी हैं।
भावर
यह क्षेत्र हिमालय तथा गंगा के मैदान के बीच पाया जाता है। जिसमें पर्वतीय भाग से नीचे आने वाली नदियों ने लगभग 8 किमी की चौड़ाई में कंकड़ों एवं पत्थरों का जमाव कर दिया है। यही गंगा मैदान की सबसे उत्तरी सीमा भी है। इस पथरीले क्षेत्र में हिमालय से निकलने वाली नदियाँ प्रायः विलीन हो जाती है और केवल कुछ बड़ी नदियों की धारा ही धरातल पर प्रवाहित होती हुई दिखती है।
तराई
यह क्षेत्र भावर के नीचे उसके समानान्तर स्थित है, जिसकी चौड़ाई 15 से 30 किमी तक पायी जाती हैं। भावर प्रदेश में विलीन हुई नदियों का जल तराई क्षेत्र में ऊपर आ जाता हे। यह वास्तव में निम्न समतल मैदानी क्षेत्र हैं, जहाँ नदियों का जल इधर-उधर फैल जाने से दलदलों का निर्माण हो गया है। वर्तमान में यहां की सघन वनस्पतियों को काटकर तथा दलदलों को सुखाकर कृषि कार्य के लिए उपयोगी बना लिया गया है।
बांगर
बांगर प्रदेश भी उत्तर के विशाल मैदान की एक विशेषता है। यह प्रदेश पुरानी जलोढ़ मिट्टी का बना होता है जहां नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुंचता है। इस प्रदेश में चूनायुक्त संग्रथनों की अधिकता होने के कारण यह कृषि के लिए अधिक उपयुक्त नहीं होता है। पंजाब में मिलने वाले बांगर को धाया कहा जाता है।
खादर
बांगर के विपरीत खादर प्रदेश में नदियों की बाढ़ का जल प्रतिवर्ष पहुंचता है। इस प्रदेश का निर्माण नवीन जलोढ़ मिट्टी द्वारा होता है क्योंकि बाढ़ के जल के साथ नवीन मिट्टी यहां प्रति वर्ष बिछती रहती है। यह प्रदेश कृषि के लिए अत्यधिक उपयुक्त होती है। पंजाब में मिलने वाले खादर को ‘बेट’ कहा जाता है।
डेल्टा
उत्तरी विशाल मैदान में गंगा तथा सिंधु नदी के डेल्टा मिलते हैं। गंगा का डेल्टा राजमहल की पहाड़ियों में सुन्दरवन के किनारे तक 430 किमी की लम्बाई में विस्तृत है। इसकी चौड़ाई 480 किमी है। सिंधु नदी का डेल्टा 960 किमी लम्बा और 160 किमी चौड़ा है।