शरद ऋतु
Winter season in India
शरद ऋतु भारत की प्रमुख 4 ऋतुओं में से एक ऋतु है। मानसून के पीछे हटने या उसका प्रत्यावर्तन हो जाने से आसमान एकदम साफ़ हो जाता है और तापमान में पुनः वृद्धि होने लगती है। इस समय जलप्लावित भूमि तथा तीव्र तापमान के कारण वायु की आर्द्रता इतनी अधिक बढ़ जाती है कि लोगों को असह्ना उमस का सामना करना पड़ता है। हमारे देश में यह स्थिति ‘क्वार की उमस’ अथवा ‘अक्टूबर की गर्मी’ के रूप में जानी जाती है।
समय
सामान्यतः भारत में 15 सितम्बर से 15 दिसम्बर तक शरद ऋतु पायी जाती है, जो कि मानसून पवनों के प्रत्यावर्तन का भी काल होता है। वर्षा ऋतु के पश्चात् जब मानूसन पवनें लौटती हैं तो देश के उत्तरी पश्चिमी भाग में तापमान तेजी से कम होने लगता है। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर के अन्त का वर्षा की तीव्रता प्रायः कम हो जाती है और धीरे-धीरे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पीछे हटते हुए मध्य सितम्बर तक पंजाब, अक्टूबर के अन्त तक गंगा के डेल्टा क्षेत्र तथा नवम्बर के प्रारम्भ में दक्षिणी भारत को भी छोड़ देता है।
तापमान
इस स्थिति के पश्चात उत्तरी भारत में तापमान तेजी से घटता है तथा दिसम्बर तक सूर्य के दक्षिणायन होने के कारण शीत ऋतु का आगमन हो जाता है। इस समय उत्तर का न्यून वायुदाब केन्द्र खिसक कर बंगाल की खाड़ी की ओर चला जाता है। यह अस्थिरता पुनः बंगाल की खाड़ी में चक्रवातो की उत्पत्ति की लिए उत्तददायी होती है और ये चक्रवात कृष्णा, कावेरी एवं गोदावरी नदी के डेल्टाई भागों में तीव्रता से प्रवेश करके धन-जन को काफ़ी हानि पहुंचाते हैं। इस ऋतु में लौटते हुए मानसून के बंगाल की खाड़ी से गुजरने के कारण उसमें कुछ आर्द्रता आ जाती है और जब ये पवनें तमिलनाडु तट से टकराती हैं तो वहाँ वर्षा कर देती हैं।