Motivational Story “Apni jamin khode, khanana hamesha vaha milega” Hindi Motivational Story for, Primary Class, Class 10 and Class 12

अपनी जमीन खोदें ,खजाना हमेशा वहाँ मिलेगा

Apni jamin khode, khanana hamesha vaha milega

एक राजधानी में एक भिखारी एक सड़क के किनारे बैठकर बीस-पच्चीस वर्षों तक भीख मांगता रहा। फिर मौत आ गयी, फिर मर गया। जीवन भर यही कामना की कि मैं भी सम्राट हो जाऊं। कौन भिखारी ऐसा है, जो सम्राट होने की कामना नहीं करता? जीवन भर हाथ फैलाये खड़ा रहा रास्तों पर।

लेकिन हाथ फैलाकर, एक-एक पैसा मांगकर कभी कोई सम्राट हुआ है? मांगने वाला कभी सम्राट हुआ है? मांगने की आदत जितनी बढ़ती है, उतना ही बड़ा भिखारी हो जाता है। सम्राट कैसे हो जायेगा? जो पच्चीस वर्ष पहले छोटा भिखारी था, पच्चीस वर्ष बाद पूरे नगर में प्रसिद्ध भिखारी हो गया था, लेकिन सम्राट नहीं हुआ था। फिर मौत आ गयी। मौत कोई फिक्र नहीं करती। सम्राटों को भी आ जाती है, भिखारियों को भी आ जाती है। और सच्चाई शायद यही है कि सम्राट थोड़े बड़े भिखारी होते हैं, भिखारी जरा छोटे सम्राट होते हैं। और क्या फर्क होता होगा!

वह मर गया भिखारी तो गांव के लोगों ने उसकी लाश को उठाकर फिकवा दिया। फिर उन्हें लगा कि पच्चीस वर्ष एक ही जगह बैठकर भीख मांगता रहा। सब जगह गंदी हो गयी। गंदे चीथड़े फैला दिये हैं। टीन-टप्पर, बर्तन-भांडे फैला दिये हैं। सब फिकवा दिया। फिर किसी को ख्याल आया कि पच्चीस वर्ष में जमीन भी गंदी कर दी होगी। थोड़ी जमीन उखाड़कर थोड़ी मिट्टी साफ कर दें। ऐसा ही सब व्यवहार करते हैं, मर गये आदमी के साथ। भिखारियों के साथ ही करते हों, ऐसा नहीं। जिसको प्रेमी कहते हैं, उनके साथ भी यही व्यवहार होता है। उखाड़ दी, थोड़ी मिट्टी भी खोद डाली।

मिट्टी खोदी तो नगर दंग रह गया। भीड़ लग गयी। सारा नगर वहां इकट्टा हो गया। वह भिखारी जिस जगह बैठा था, वहां बड़े खजाने गड़े हुए थे। सब कहने लगे, कैसा पागल था! मर गया पागल, भीख मांगते-मांगते! जिस जमीन पर बैठा था, वहां बड़े हंडे गड़े हुए थे, जिनमें बहुमूल्य हीरे-जवाहरात थे, स्वर्ण अशर्फियां थीं! वह सम्राट हो सकता था, लेकिन उसने वह जमीन न खोदी, जिस पर वह बैठा हुआ था! वह उन लोगों की तरफ हाथ पसारे रहा, जो खुद ही भिखारी थे, जो खुद ही दूसरों से मांग-मांगकर ला रहे थे! वे भी अपनी जमीन नहीं खोदे होंगे। उसने भी अपनी जमीन नहीं खोदी! फिर गांव के लोग कहने लगे, बड़ा अभागा था!

मैं भी उस गांव में गया था। मैं भी उस भीड़ में खड़ा था। मैंने लोगों से कहा, उस अभागे की फिक्र छोड़ो। दौड़ो अपने घर, अपनी जमीन तुम खोदो। कहीं वहां कोई खजाना तो नहीं? पता नहीं, उस गांव के लोगों ने सुना कि नहीं! आपसे भी यही कहता हूं-अपनी जमीन खोदो, जहां खड़े हैं, वहीं खोद लें। मैं कहता हूं, वहां खजाना हमेशा है!

लेकिन हम सब भिखारी हैं और कहीं मांग रहे हैं! प्रेम के बड़े खजाने भीतर हैं, लेकिन हम दूसरों से मांग रहे हैं कि हमें प्रेम दो! पत्नी पति से मांग रही है, मित्र-मित्र से मांग रहा है कि हमें प्रेम दो! जिनके पास खुद ही नहीं है, वे खुद दूसरों से मांग रहे हैं, कि हमें प्रेम दो! हम उनसे मांग रहे हैं! भिखारी भिखारियों से मांग रहे हैं! इसलिए दुनिया बड़ी बुरी हो गयी है। लेकिन अपनी जमीन पर, जहां हम खड़े हैं, कोई खोदने की फिक्र नहीं करता।

वह कैसे खोदा जा सकता है, वह थोड़ी-सी बात मैंने कही हैं। वहां खोदें, वहां बहुत खजाना है और प्रेम का खजाना खोदते-खोदते ही एक दिन आदमी परमात्मा के खजाने तक पहुंच जाता है। और कोई रास्ता न कभी था, न है और न हो सकता है।

 

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