समस्या का निवारण ही उससे दूर रहने का तरीका है
Samasya ka nivaran hi use door rahne ka tarika hai
एक बार अध्यापक कक्षा में बच्चों का पढ़ा रहे थे| उन्होनें एक ग्लास अपने हाथ में उठाया और बच्चों की ओर देखते हुए पूछा कि” इस ग्लास का वजन कितना होगा?” बच्चों ने विभिन्न उत्तर दिए किसी ने कहा 50 ग्राम, किसी ने 100 ग्राम, किसी ने 150 ग्राम| टीचर ने हंसकर कहा कि इसका सही वजन मुझे भी नहीं पता परंतु अगर में इस ग्लास को 10 मिनिट तक ऐसे ही हाथ में उठाए खड़ा रहूं तो क्या होगा? पीछे से किसी बच्चे की आवाज़ आई सर कुछ भी नहीं होगा|
ठीक है अगर में इस ग्लास को 1 घंटे तक ऐसे ही उठा के रखूं तो क्या होगा? टीचर ने पूछा| बच्चों ने कहा की श्रीमान आपके हाथ में दर्द होने लगेगा| अच्छा अगर में इसे ऐसे ही 1 दिन तक उठाए खड़ा रहूं तो क्या होगा? फिर से टीचर ने पूछा| बच्चों ने कहा की श्रीमान आपका हाथ जड़ हो जाएगा, डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा, यह कहते हुए पूरी क्लास हँसने लगी|
तब अध्यापक ने मुस्कुराते हुए बताया की जीवन में आने वाली अनेकों समस्याएँ भी इसी ग्लास की तरह हैं जिनका वजन तो उतना ही रहता है लेकिन अगर ज़्यादा समय तक उनका निवारण ना किया जाए तो वह बहुत बड़ी परेशानी बनाकर सामने आती है| अगर तुम समस्या को तुरंत हल नहीं करोगे तो बाद में पछताना पड़ेगा|
मतलब, समस्या का निवारण ही उससे दूर रहने का तरीका है