राष्ट्रीय बाल स्वच्छता मिशन
Rashtriya Bal Swachhta Mission
बच्चों के बीच में स्वच्छता के बारे में जागरुकता को बढ़ाने के लिये भारतीय सरकार द्वारा स्वच्छता का बाल स्वच्छता अभियान (National Bal Swachhta Mission) चलाया जा रहा है। इस उत्सव को और असरदार बनाने के लिये बाल दिवस पर खासतौर से 2014 में इस मिशन की शुरुआत की गयी थी।
यह मिशन 14 नवंबर से 19 नवंबर तक मनाया जाता है। 2014 में उत्सव के सभी पाँच दिनों का अलग-अलग थीम था जैसे :-
14 नवंबर का थीम – “स्वच्छ स्कूल, हमारे आस-पास और खेलने के मैदान”
15 नवंबर का थीम – “स्वच्छ भोजन”
17 नवंबर का थीम – “आलमारियों को साफ रखे”
18 नवंबर का थीम – “पीने के पानी की सफाई करना”
19 नवंबर का थीम – “स्वच्छ शौचालय”
भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. नेहरु का जन्मदिवस हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। इसलिये इस स्वच्छता अभियान को और अधिक उद्देश्यपूर्ण और प्रभावशाली बनाने के लिये बाल स्वच्छता अभियान की शुरुआत की गयी है। इस कार्यक्रम को मनाने के दौरान निबंध लेखन प्रतियोगिता, संबंधित विषय पर कविता पाठ, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता, चित्रकारी, भाषण, खेल क्रियाएँ, समूह चर्चा, बहस, स्वच्छता क्रियाकलाप आदि सहित बहुत सारे क्रियाकलाप स्कूल शिक्षकों द्वारा आयोजित किये जाते हैं। एक-दूसरे में उत्साह और प्रोत्साहन लाने के लिये सीमित समय में पूरा करने के लिये समूह के अनुसार कुछ कार्य स्कूली बच्चों को दिये जाते हैं।
बाल स्वच्छता अभियान (National Bal Swachhta Mission) एक पर्यावरणी और व्यक्तिगत स्वच्छता मिशन है, इस अवसर को उद्देश्यपूर्ण और अर्थपूर्ण बनाने के लिये बाल दिवस (14 नवंबर 2014 को) पर भारतीय सरकार द्वारा शुरु किया गया। भारतीय प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी के द्वारा शुरु किया गया स्वच्छ भारत अभियान (भारतीय लोगों के बीच स्वच्छता के कार्य का आरंभ करने के लिये एक कार्यक्रम) का उद्देश्य इस मिशन से संभवत: अधिक मेल खाता है।
बाल स्वच्छता अभियान (National Bal Swachhta Mission) के माध्यम से इस स्वच्छता अभियान में स्कूली बच्चों को शामिल करने के लिये भारतीय सरकार द्वारा बाल स्वच्छ मिशन एक बड़ा कदम है। पाँच दिनी ये लंबा उत्सव इस अभियान को और अधिक सफल और असरदार बनाने के लिये सभी दिनों को पाँच अलग-अलग थीम पर आधारित होता है। ये मिशन पंडित नेहरु के जन्म दिवस (14 नवंबर) को शुरु होता और इंदिरा गाँधी के जन्म दिवस (19 नवंबर) पर खत्म होता है।
सभी भारतीय नागरिकों के लिये स्वच्छता बहुत जरुरी कार्य है, हालाँकि भारत में इसका बच्चों के द्वारा बेहतर प्रचार हो सकता है। पर्यावरणीय और व्यक्तिगत स्वच्छता की आदत को बढ़ावा देने के लिये स्कूल जाने वाले बच्चे सबसे बेहतर माध्यम हैं। पूरे दिल से घर या स्कूल से स्वच्छता अभियान में हरेक विद्यार्थी भाग लेता है। उत्सव के दिन पर उनके शिक्षकों या प्रधानाध्यापक के द्वारा पर्यावरण और शरीर में स्वच्छता की जरुरत, लाभ और महत्व के बारे में विद्यार्थियों को पहले समझाया जाता है और उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नृत्य, गायन, प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता आदि के माध्यम से उत्सव मनाने की शुरुआत की जाती है। स्वच्छता अभियान को असरदार तरीके से देखने के द्वारा समाज में स्वच्छता के बढ़ावे की अपनी प्रगतिशील शैली और तरीके को विद्यार्थी प्रदर्शित करते हैं।
ये मिशन इस समझ के द्वारा लागू किया गया है कि 2019 तक स्वच्छ भारत की प्राप्ति में अधिक संभावना के साथ एक बड़ी भूमिका बच्चे अदा कर सकते हैं। बच्चों को कुछ भी करने के लिये प्रोत्साहन और बढ़ावे की जरुरत होती है इसलिये पर्यावरण, घर, अपने आस-पास, रोड, स्कूल, व्यक्तिगत साफ-,फाई आदि में स्वच्छता की आदत को बढ़ावा देने में बच्चे एक अच्छा माध्यम हैं। घरों और समुदायों में खासतौर से पूरे भारत भर में बच्चे स्वच्छता के दूत होते हैं। इस अभियान को मनाने का मुख्य लक्ष्य अपने आस-पास, स्कूल, आँगनवाड़ी की साफ-सफाई, व्यक्तिगत साफ-सफाई और बच्चों का स्वास्थ्य, पीने के पानी को साफ रखना, साफ भोजन और साफ शौचालय आदि है। इस मिशन की जरुरत को पूरा करने के लिये स्कूल में बहुत सारे स्वच्छता कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
बाल स्वच्छता अभियान (National Bal Swachhta Mission) स्वच्छता का एक मिशन है जो अधिक उन्नति संबंधी और उद्देश्यपूर्ण अंदाज में बाल दिवस को मनाने के लिये 14 नवंबर 2014 को शुरु किया गया था। एक पाँच-दिनी लंबे कार्यक्रम के रुप में मनाने के लिये इस अभियान की शुरुआत की गयी जो कि भारत के पहले प्रधानमंत्री (पं.नेहरु, 14 नवंबर) के जन्मदिन पर शुरु होता है और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री (इंदिरा गाँधी, 19 नवंबर) के जन्म दिवस पर खत्म होता है। पर्यावरणीय और व्यक्तिगत स्वच्छता की ओर देश के बच्चों को बढ़ावा देने के लिये भारतीय सरकार द्वारा बाल स्वच्छता अभियान को लागू किया गया।
बहुत सारी गतिविधियाँ जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम, निबंध लेखन प्रतियोगिता, स्वच्छता पर चर्चा, समूह चर्चा, चित्रकारी, चार्ट बनाना, स्वच्छता प्रदर्शनी, चित्रकारी प्रतियोगिता, अपने आस-पास के क्षेत्रों की साफ-सफाई, पर्यावरणीय स्वच्छता क्रिया-कलाप, व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान पर पोस्टर बनाना आदि में सक्रिय भागीदारी के द्वारा सभी स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के द्वारा इस कार्यक्रम को मनाया जाता है। बाल स्वच्छता अभियान का एकमात्र उद्देश्य आने वाले भविष्य में भारत को एक स्वच्छ भारत बनाने के लिये देश के बच्चों के बीच स्वच्छता आदतों को बढ़ावा देना है। स्वच्छता एक अच्छी आदत है जिसे बच्चों को उनके बचपन से ही बढ़ावा देना चाहिये जिससे वो इसका पूरे जीवन भर अनुसरण करते रहें।