Tag: Hindi Poems
रोज़ जिम्मेदारियाँ बढ़ती गईं Roz jimmedariya badhti gai रोज़ जिम्मेदारियाँ बढ़ती गईं। ज़ीस्त की दुश्वारियाँ बढ़ती गईं। पेशकदमी वो करे मैं क्यों बढ़ूँ, इस अहम में दूरियाँ बढ़ती …
नाल मढ़ाने चली मेढकी Baal madhne chali mendhaki कहा चौधरानी ने, हंसकर देखा दासी का गहना `नाल मढ़ाने चली मेढकी इस `कलजुग’ का क्या कहना।’ पति जो हुआ दिवंगत …
किसी को महल देता है किसी को घर नहीं देता Kisi ko mahal deta hai kisi ko ghar nahi deta किसी को महल देता है किसी को घर …
बताओ क्या करें Batao kya kare इस तरह मौसम बदलता है बताओ क्या करें शाम को सूरज निकलता है बताओ क्या करें यह शहर वो है कि जिसमें आदमी …
बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है Bahut Gumnamo me shamil ek naam apna hi hai बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है इल्मे-नाकामी …
अनुपस्थिति मेरी Anupasthiti meri जहां-जहां मैं रहा उपस्थित अंकित है अनुपस्थिति मेरी। क्रान्ति चली भी साथ हमारे दोनों हाथ मशाल उठाये मेरे कन्धों पर वादक ने परिवर्तन के बिगुल …
अपनी – अपनी सलीब ढोता है Apni –apni salib dhota hai अपनी – अपनी सलीब ढोता है आदमी कब किसी का होता है है ख़ुदाई-निजाम दुनियाँ का काटता …
फाँस जो छूती रगों को Phans jo chute rogo ko फाँस जो छूती रगों को देखने में कुछ नहीं है रह न पाया एक साँचे से मिला आकार मेरा …