Tag: Hindi Poems

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Sun raha hu isliye ullu banana chahte hai “ , “सुन रहा हूँ इसलिये उल्लू बनाना चाहते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुन रहा हूँ इसलिये उल्लू बनाना चाहते हैं Sun raha hu isliye ullu banana chahte hai   व्यर्थ की संवेदनाओं से डराना चाहते हैं सुन रहा हूँ इसलिये उल्लू …

Hindi Poem of Prayag Shukla “Vyanjan pakane ki vidhi “ , “व्यंजन पकाने की विधि” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

व्यंजन पकाने की विधि Vyanjan pakane ki vidhi व्यंजन पकाने की विधियाँ कई हैं व्यंजन भी कई हैं ढेरों व्यंजनों के पर, व्यंजन विधियों को चकमा देकर कब और …

Hindi Poem of Prayag Shukla “Phool jab phulte hai vriksho me“ , “फूल जब फूलते हैं वृक्षो में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

फूल जब फूलते हैं वृक्षो में Phool jab phulte hai vriksho me फूल जब फूलते हैं वृक्षों में आँखें चुपचाप उधर जैसे आभार में ऊपर उठ जाती हैं। बादल …

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Me khada bich majhdar kinare kya kar lenge“ , “मैं खड़ा बीच मझधार किनारे क्या कर लेंगे ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं खड़ा बीच मझधार किनारे क्या कर लेंगे Me khada bich majhdar kinare kya kar lenge   मैं खड़ा बीच मझधार किनारे क्या कर लेंगे मैने छोड़ी पतवार सहारे …

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Batarj-e- meer “ , “बतर्ज-ए-मीर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बतर्ज-ए-मीर Batarj-e- meer   अक्सर ही उपदेश करे है, जाने क्या – क्या बोले है। पहले ’अमित’ को देखा होता अब तो बहुत मुहँ खोले है। वो बेफ़िक्री, वो …

Hindi Poem of Prayag Shukla “Unmad ke khilaf“ , “उन्माद के खिलाफ़” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उन्माद के खिलाफ़ Unmad ke khilaf उन्माद कभी ज्यादा देर तक नहीं ठहरता, यही है लक्षण उन्माद का । बीजों में, पेड़ों में, पत्तों में नहीं होता उन्माद आँधी …

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Dil Musafir hi raha suye-safar aaj bhi hai “ , “दिल मुसाफ़िर ही रहा सूये-सफ़र आज भी है ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दिल मुसाफ़िर ही रहा सूये-सफ़र आज भी है Dil Musafir hi raha suye-safar aaj bhi hai   दिल मुसाफ़िर ही रहा सूये-सफ़र आज भी है हाँ! तसव्वुर में मगर …