Tag: Hindi Poems
रणभेरी Ranbheri माँ कब से खड़ी पुकार रही पुत्रो निज कर में शस्त्र गहो सेनापति की आवाज़ हुई तैयार रहो , तैयार रहो आओ तुम भी दो आज …
प्यास के भीतर प्यास Pyas ke bhitar pyas प्यास को बुझाते समय हो सकता है कि किसी घूँट पर तुम्हें लगे कि तुम प्यासे हो, तुम्हें पानी चाहिए फिर …
मिट्टी की महिमा Mitti ki mahima कितने रूपों में कुटी-पिटी, हर बार बिखेरी गई, किंतु मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी! आशा में निश्छल पल जाए, छलना में …
मैं अकेला और पानी बरसता है Me akela aur pani barasta hai प्रीती पनिहारिन गई लूटी कहीं है, गगन की गगरी भरी फूटी कहीं है, एक हफ्ते से …
इन दबी यादगारों से In Dabi yadgaro se इन दबी हुई यादगारों से ख़ुशबू आती है और मैं पागल हो जाता हूँ जैसे महामारी डसा चूहा बिल से निकल …
अंगारे और धुआँ Angare aur dhua इनको समेटने को इतने आँचल भी तो चाहिए, ऐसी कतार लौ की दिन-रात जलेगी जो किस-किस की पुतली से क्या-क्या कहिए। क्या …
कौन गाता जा रहा है Kaun gata ja raha hai कौन गाता जा रहा है? मौनता को शब्द देकर शब्द में जीवन सँजोकर कौन बन्दी भावना के पर …
सहमते स्वर-5 Sahamte Swar 5 चला आया अपनी ही नज़रों में गिरने से बच गया। नए माहौल में भटकना भला लगता है सुविधा का भरण क्षण तो सड़ा-गला …