Tag: Hindi Poems
ऋतु-स्नान – अम्बर रंजना पाण्डेय Ritu snan – Ambar Ranjna Pandey चैत समाप्यप्राय है । आठ-दस हाथ दूर आलते रचे, मैले पाँवों को तौल-तौल धरती उतरती प्रवाह में …
पकड़ नहीं आती छवि – अम्बर रंजना पाण्डेय Pakad Nahi aati chavi – Ambar Ranjna Pandey दूती की भूमिका में मंच पर बाँच रही हैं आर्या-छंद मेरी प्रेयसी …
अमरुद वृक्ष – अम्बर रंजना पाण्डेय Marood Vriksh – Ambar Ranjna Pandey सहस्र दिन पुरातन मूत्र-गंध से त्रस्त थे नासापुट महू के रेलगाड़ी स्टेशन पर । उबकाई ले …
बबूल – अम्बर रंजना पाण्डेय Babool – Ambar Ranjna Pandey टीबे की ओंट खड़ा हूँ । मेरी भी टूम-टिमाक हैं । टहनियों टसकें हैं फूल टहटहे मगर टुंच …
बेर – अम्बर रंजना पाण्डेय Ber – Ambar Ranjna Pandey मर्कट-दल उत्पात मचा कर अभी अभी गया हैं । बदरी का बेचारा बालक वृक्ष इसी बरस तो फला …
कि दोष लगते देर नहीं लगती – अम्बर रंजना पाण्डेय Ki dosh lagte der nahi lagti – Ambar Ranjna Pandey किसी स्त्री की परपुरुष से इतनी मैत्री ठीक …
कदम्ब – अम्बर रंजना पाण्डेय Kadamb – Ambar Ranjna Pandey कर्बुर शब्दों से बने वाक्य का एक ही रंग होता हैं जैसे कदम्ब के सब फूलों का हैं …
गूलर – अम्बर रंजना पाण्डेय Goolar – Ambar Ranjna Pandey तुम तो कहते थे गूलर दिख जाने से दारिद्रय आता हैं । कोढ़ी बता गए नागार्जुन भी इसे …