Tag: Hindi Poems
सियाहि जैसे गिर जावे दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर – ग़ालिब Siyahi jaise gir jave dum-e-tahrir khagaz par -Ghalib सियाही जैसे गिर जावे दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर मिरी क़िस्मत में यूँ …
सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं – ग़ालिब sitam-kash maslhat se hu ki khuba tujh pe aashiq hein -Ghalib सितम-कश मस्लहत से हूँ कि …
सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर – ग़ालिब Safa-e-herat-e-aaina hai saman-e-jang aakhir -Ghalib सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर तग़य्युर आब-ए-बर-जा-मांदा का पाता है रंग आख़िर न की सामान-ए-ऐश-ओ-जाह ने तदबीर वहशत …
वुसअत-स-ईए-करम देख कि सर-ता-सर-ए-ख़ाक – ग़ालिब Vusat-s-iye-karam dekh ki sar-ta-sar-e-khak -Ghalib वुसअत-ए-सई-ए-करम देख कि सर-ता-सर-ए-ख़ाक गुज़रे है आबला-पा अब्र-ए-गुहर-बार हुनूज़ यक-क़लम काग़ज़-ए-आतिश-ज़दा है सफ़्हा-ए-दश्त नक़्श-ए-पा में है तब-ए-गर्मी-ए-रफ़्तार …
वां उस को हौल-ए-दिल है तो यां मैं हूं शरम-सार – ग़ालिब Vaa us ko hol-e-dil hai to yaa mein hu sharam-saar -Ghalib वाँ उस को हौल-ए-दिल है …
लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं – ग़ालिब Lo hum mariz-e-ishq ke bimar-daar hein -Ghalib लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं अच्छा अगर न हो तो मसीहा का …
लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले – ग़ालिब Lu vaam bakhat-e-khufta se yak-khawab-e-khush vale -Ghalib लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले ग़ालिब ये ख़ौफ़ है कि कहाँ से …
रहा गर कोई ता क़यामत सलामत – ग़ालिब Raha gar koi ta kayamt salamat -Ghalib रहा गर कोई ता क़यामत सलामत फिर इक रोज़ मरना है हज़रत सलामत …