Tag: Hindi Poems
ता हम को शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा – ग़ालिब Ta hum ko shikayat ki bhi baki na rahe ja -Ghalib ता हम को शिकायत की भी …
तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है – ग़ालिब Tapish se mere waqt-e-kashmakash har taar-e-bister hai -Ghalib तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है मिरा सर रंज-ए-बालीं है मिरा …
जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो गर हो न उर्यानी – ग़ालिब Junu ki dast-giri kis se ho gar ho na uryani -Ghalib जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो …
जादा-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआ – ग़ालिब jada-e-rah Khur ko waqt-e-sham hai taar-e-shua -Ghalib जादा-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआ चर्ख़ वा करता है माह-ए-नौ से आग़ोश-ए-विदा …
ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री ‘ग़ालिब’ – ग़ालिब Zindagi apni jab is shakal se guzari ‘Ghalib’ -Ghalib ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री हम भी …
ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद – ग़ालिब Zamana sakhat kam-Aazar hai ba-Jan-e-asad -Ghalib ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद वगरना हम तो तवक़्क़ो ज़्यादा रखते हैं तन-ए-ब-बंद-ए-हवस दर नदादा रखते …
ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है – ग़ालिब Ja-bas-ki maskh-e-Tamasha junu-alamat hai -Ghalib ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है कुशाद-ओ-बस्त-ए-मिज़्हा सीली-ए-नदामत है न जानूँ क्यूँकि मिटे दाग़-ए-तान-ए-बद-अहदी तुझे कि आइना भी वार्ता-ए-मलामत …
जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई – ग़ालिब Jab tak dahan-e-jakham na peda kare koi -Ghalib जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई मुश्किल कि तुझ से …