Tag: Hindi Poems
कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं – ग़ालिब Kalkatte ka jo jikra kiya tune humnashi -Ghalib कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं इक तीर मेरे सीने …
अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ – ग़ालिब Apna Ahval-e-zaar kahu -Ghalib ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार होता अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता शब्दार्थ: प्रिय से …
आमों की तारीफ़ में – ग़ालिब Aamo ki Tarif mein -Ghalib हाँ दिल-ए-दर्दमंद ज़म-ज़मा साज़ क्यूँ न खोले दर-ए-ख़ज़िना-ए-राज़ ख़ामे का सफ़्हे पर रवाँ होना शाख़-ए-गुल का है …
बस पंथ थम गया – राकेश खंडेलवाल Bas panth tham gya – Rakesh Khandelwal पांव हमारे ही अक्षम थे उठे न पथ में एक कदम भी और लगाते …
कैसे गीत प्रणय के गाये – राकेश खंडेलवाल Kaisa geet pranaya ke gaye – Rakesh Khandelwal ये अम्बर पर घिरी घटाओं में घुलते यादों के साये ऐसे में …
अंतिम गीत – राकेश खंडेलवाल Antim geet – Rakesh Khandelwal विदित नहीं लेखनी उंगलियों का कल साथ निभाये कितना इसीलिये मैं आज बरस का अंतिम गीत लिखे जाता …
कितनी और उम्र बाकी है – राकेश खंडेलवाल Kitni aur umar baki hai – Rakesh Khandelwal हर मौसम फ़ागुन के रंगों में रंग लिया भावनाऒ ने एक तुम्हारी …
लेकिन संबोधन पर – राकेश खंडेलवाल Lekin sambodhan par – Rakesh Khandelwal सोचा मैने लिखूँ तुम्हें इक पत्र ह्रदय के भावों वाला लेकिन संबोधन पर आकर अटकी रही …