Tag: Hindi Poems
परसाई जी की बात Parsai ji ki baat पैंतालिस साल पहले, जबलपुर में परसाई जी के पीछे लगभग भागते हुए मैंने सुनाई अपनी कविता और पूछा क्या इस …
अपनेपन का मतवाला Apnepan ka matwala अपनेपन का मतवाला था भीड़ों में भी मैं खो न सका चाहे जिस दल में मिल जाऊँ इतना सस्ता मैं हो न सका …
सीढ़ियाँ Sidhiya सीढ़ियाँ चढ़ते हुए जो उतरना भूल जाते हैं वे घर नहीं लौट पाते क्योंकि सीढ़ियाँ कभी ख़त्म नहीं होतीं Related posts: Hindi Poem of Naresh …
हिमालय ने पुकारा Himalaya ne pukara शंकर की पुरी चीन ने सेना को उतारा चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा हो जाए पराधीन नहीं गंगा की धारा गंगा के …
गिरना Girna चीज़ों के गिरने के नियम होते हैं। मनुष्यों के गिरने के कोई नियम नहीं होते। लेकिन चीज़ें कुछ भी तय नहीं कर सकतीं अपने गिरने के …
संख्याएँ Sankhyaye शब्द तो आए बहुत बाद में संख्याएँ हमारे साथ जन्म से ही हैं गर्भ में जब निर्माण हो रहा था हमारी हड्डियों का रक्तकणों और कोशिकाओं …
बदनाम रहे बटमार Badnam rahe batmar बदनाम रहे बटमार मगर, घर तो रखवालों ने लूटा मेरी दुल्हन-सी रातों को, नौ लाख सितारों ने लूटा दो दिन के रैन बसेरे …
सीढी Sidhi मुझे एक सीढ़ी की तलाश है सीढ़ी दीवार पर चढ़ने के लिए नहीं बल्कि नींव में उतरने के लिए मैं किले को जीतना नहीं उसे ध्वस्त …