Hindi Poem of Bhushan “ Dadhi ke rakheyan ki dadhi si rahat chati, “दाढ़ी के रखैयन की दाढ़ी सी रहत छाती ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

दाढ़ी के रखैयन की दाढ़ी सी रहत छाती

 Dadhi ke rakheyan ki dadhi si rahat chati

दाढ़ी के रखैयन की दाढ़ी सी रहत छाती

बाढ़ी मरजाद जसहद्द हिंदुवाने की

कढ़ी गईं रैयत के मन की कसक सब

मिटि गईं ठसक तमाम तुकराने की

भूषण भनत दिल्लीपति दिल धक धक

सुनि सुनि धाक सिवराज मरदाने की

मोटी भई चंडी,बिन चोटी के चबाये सीस

खोटी भई अकल चकत्ता के घराने की

 

 

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