दाढ़ी के रखैयन की दाढ़ी सी रहत छाती
Dadhi ke rakheyan ki dadhi si rahat chati
दाढ़ी के रखैयन की दाढ़ी सी रहत छाती
बाढ़ी मरजाद जसहद्द हिंदुवाने की
कढ़ी गईं रैयत के मन की कसक सब
मिटि गईं ठसक तमाम तुकराने की
भूषण भनत दिल्लीपति दिल धक धक
सुनि सुनि धाक सिवराज मरदाने की
मोटी भई चंडी,बिन चोटी के चबाये सीस
खोटी भई अकल चकत्ता के घराने की