Hindi Poem of Mira Bai “Nahi bhave tharo desdalo ji ranrudo, “नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो” Complete Poem for Class 10 and Class 12

नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो

Nahi bhave tharo desdalo ji ranrudo

नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो॥

थांरा देसा में राणा साध नहीं छै, लोग बसे सब कूड़ो।

गहणा गांठी राणा हम सब त्यागा, त्याग्यो कररो चूड़ो॥

काजल टीकी हम सब त्याग्या, त्याग्यो है बांधन जूड़ो।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर बर पायो छै रूड़ो॥

 

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