Hindi Poem of Sur Das “ Jmunake teer bansari bajave kano, “जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो

 Jmunake teer bansari bajave kano

 

जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो ॥ज०॥ध्रु०॥

बन्सीके नाद थंभ्यो जमुनाको नीर खग मृग।

धेनु मोहि कोकिला अनें किर ॥बं०॥१॥

सुरनर मुनि मोह्या रागसो गंभीर ।

धुन सुन मोहि गोपि भूली आंग चीर ॥बं०॥२॥

मारुत तो अचल भयो धरी रह्यो धीर ।

गौवनका बच्यां मोह्यां पीवत न खीर ॥बं०॥३॥

सूर कहे श्याम जादु कीन्ही हलधरके बीर ।

सबहीको मन मोह्या प्रभु सुख सरीर ॥ब०॥४॥

 

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