Hindi Poem of Raskhan “  Gori bal thori ves, lal pe gulal muthi, “गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि” Complete Poem for Class 10 and Class 12

गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि

 Gori bal thori ves, lal pe gulal muthi

 

गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि –

तानि कै चपल चली आनँद-उठान सों ।

वाँए पानि घूँघट की गहनि चहनि ओट,

चोटन करति अति तीखे नैन-बान सों ॥

कोटि दामिनीन के दलन दलि-मलि पाँय,

दाय जीत आई, झुंडमिली है सयान सों ।

मीड़िवे के लेखे कर-मीडिवौई हाथ लग्यौ,

सो न लगी हाथ, रहे सकुचि सुखान सों ॥

 

 

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