Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Ayachit jhonka“ , “अयाचित झोंका” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अयाचित झोंका

Ayachit jhonka

हो गया कम्पित शरद के शान्त, झीने ताल-सा

तन

आह, करुणा का अयाचित एक झोंका

सान्त्वना की तरह मन की सतह पर लहरा गया

कहाँ से उपजा?

कहाँ को गया?

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