मैं बचपन से चोर था
Me bachpan se chor tha
मैं बचपन से चोर था
चोर ही रहा जीवन भर
जेब से पैसे चुराए
पेड़ से आम नींबू
बहती नाव से तरबूजे
पानी से छोटी मछलियाँ
क़िताबों से कविताएँ
डाकू न बन सका
गिरोह नहीं बनाए
सच्चे कायरों की तरह
आदमी और कवि
दोनों रोए पछताए