Hindi Poem of Amitabh Bachchan “Aaiye“ , “आइए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आइए
Aaiye

 

आपको हम अपना घर दिखाते हैं
बड़े-बड़े कमरे देखिए
सब आपस में जुड़े हैं

आप इधर से भी
और उधर से भी आ-जा सकते हैं
खिड़कियाँ भी कम नहीं हैं
बड़ी-बड़ी भी हैं

घर में जैसे आकाश हो
लकड़ी बहुत लगी
एक विशाल पेड़ ही समझिए
कि पूरा घर में समा गया

सोने से भी महंगी है लकड़ी
लेकिन एक सपना था
पूरा हो गया
देखिए यहाँ बैठ जाइए

यहां सायँ-सायँ आती है हवा
जैसे घर में रहकर भी घर से बाहर हैं
समझिए कि किसी तरह बन गया ये घर
मेरे वश का नहीं था

इसे ईश्वर ने ही बनाया है
लाख से ऊपर बुनियाद में ही दब गया
तब है कि एक घर हो गया
अब कहीं जाना नहीं है

अब कहीं भटकना नहीं है
बेटे न जाने क्या करें
रखें न रखें
बुलाएँ न बुलाएँ
तीन साल तक समझिए

कहीं का नहीं छोड़ा इस घर ने
चाँदी-सोना सब इसी में भस गए
कहाँ-कहाँ हाथ फैलाना पड़ा
लेकिन आज सन्तोष है

अपना घर है तो देखिए
रसोईघर भी कितना बड़ा है
मरेंगे तो घर तो साथ नहीं ले जाएँगे
लेकिन ख़ुशी है
मरेंगे तो अपने घर में मरेंगे

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.