जो लिख चुका
Jo likh chuka
जो लिख चुका
वह सब मिथ्या है
उसे मत गहो!
जो लिखा नहीं गया
घुमड़कर भीतर ही रहा
वही सच है
जो मैं देना चाहता हूँ!
लो, यह दे दिया
सूनी हवा की लहरों पर
दिये-सा सिराकर
तुम्हारा नाम!
जो लिख चुका
Jo likh chuka
जो लिख चुका
वह सब मिथ्या है
उसे मत गहो!
जो लिखा नहीं गया
घुमड़कर भीतर ही रहा
वही सच है
जो मैं देना चाहता हूँ!
लो, यह दे दिया
सूनी हवा की लहरों पर
दिये-सा सिराकर
तुम्हारा नाम!