Hindi Poem of Kunwar Narayan “Lapata ka huliya“ , “लापता का हुलिया ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

लापता का हुलिया
Lapata ka huliya

रंग गेहुआं ढंग खेतिहर
उसके माथे पर चोट का निशान
कद पांच फुट से कम नहीं

ऐसी बात करताकि उसे कोई गम नहीं।
तुतलाता है।
उम्र पूछो तो हजारों साल से कुछ ज्यादा बतलाता है।

देखने में पागल-सा लगता– है नहीं।
कई बार ऊंचाइयों से गिर कर टूट चुका है

इसलिए देखने पर जुड़ा हुआ लगेगा
हिन्दुस्तान के नक्शे की तरह।

 

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