जितना अधिक पचाया जिसने
Jitna adhik pachaya jisne
जितना अधिक पचाया जिसने
उतनी ही छोटी डकार है
बस इतना सा समाचार है
निर्धन देश धनी रखवाले
भाई चाचा बीवी साले
सबने मिलकर डाके डाले
शेष बचा सो राम हवाले
फिर भी साँस ले रहा अब तक
कोई दैवी चमत्कार है
बस इतना सा समाचार है
चादर कितनी फटी पुरानी
पैबन्दों में खींचा-तानी
लाठी की चलती मनमानी
हैं तटस्थ सब ज्ञानी-ध्यानी
जितना ऊँचा घूर, दूर तक
उतनी मुर्ग़े की पुकार है
बस इतना सा समाचार है
पढ़े लिखे सब फेल हो गये
कोल्हू के से बैल हो गये
चमचा, मक्खन तेल हो गये
समीकरण बेमेल हो गये
तिकड़म की कमन्द पर चढ़कर
सिद्ध-जुआरी किला-पार है
बस इतना सा समाचार है
जन्तर-मन्तर टोटका टोना
बाँधा घर का कोना-कोना
सोने के बिस्तर पर सोना
जेल-कचेहरी से क्या होना
करे अदालत जब तक निर्णय
धन-कुनबा सब सिन्धु-पार है
बस इतना सा समाचार है
मन को ढाढस लाख बधाऊँ
चमकीले सपने दिखलाऊँ
परी देश की कथा सुनाऊँ
घिसी वीर-गाथायें गाऊँ
किस खम्भे पर करूँ भरोसा
सब पर दीमक की कतार है
बस इतना सा समाचार है