Hindi Poem of Gopal Prasad Vyas “Kharrate“ , “खर्राटे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

खर्राटे
Kharrate

तुलसी या संसार में कर लीजै दो काम-
छक के भोजन कीजिए, मुँह ढक कै आराम!
मुँह ढक कैं आराम, द्वार पर यह लिख दीजै-
सोय रह्‌यौ हूँ अभी मोय दरसन मत दीजै।
जागे सो पावै नहीं, सोवै सो सुख पाय।
जननी ऐसौ पूत जन, परते ही खर्राय।
सुनो ब्रजनागरी!

खर्राटे ऐसे मुखर, पारंपरिक अकूत,
आंगन में बैठी मनौ मल्लो कातै सूत।
मल्लो कातै सूत, मुटल्लो मठा बिलोवै,
कै बिल्लो ते झगर, टीन पै बिल्ला रोवै।
कैधों ग्रामोफोन कौ तयौ भयौ बेकार,
कै चौबे की नाक हू लैबे लगी डकार।
सखा सुन श्याम के

खर्राटे ये है नहीं, ये हैं अनहद नाद,
घट के भीतर चलि रह्‌यौ, जीव-ब्रह्म-संवाद।
जीव-ब्रह्म-संवाद ‘सबद’ परि रहे सुनाई,
कहां गए गुरुदेव अर्थ बूझयौ नहिं जाई।
किधौं नाक ते बहि रही ‘कविता नई’ अचूक,
दाग समालोचक रहे सोय- सोय बंदूक।
सुनो ब्रजनागरी!

खर्राटे क्यों कहत हौ, कहौ षड़ज-संधान,
खैंच रहे बुंदू मियां नौ-नौ गज की तान।
नौ-नौ गज की तान कि जैसे करैं गरारे,
अटक कंठ में गए तेल के सक्करपारे।
कै काहू की भैंसिया पोखर में गर्राय,
कै काहू की भौंटिया चाकी रही चलाय।
सखा सुन श्याम के!

खर्राटे खर-खर करैं, खटिया चर-चर होय,
सुनि छोरी चीखन लगी, छोरा दीनौ रोय।
छोरा दीनौ रोय, बैल खूंटा ते भाजौ,
कुत्ता सोचन लग्यौ, बजौ यह कैसौ बाजौ?
मूसे बिल में घुसि गए, मौसी खाय पछार,
घरवारी ठोकै करम, भले मिले भरतार!
सुनो ब्रजनागरी।

बालम परे पलंग पै चारौं कौने चित्त!
गोरी बत्ती जोरिकै बांचै व्यास-कवित्त!
बांचै व्यास-कवित्त कि लंबी लैय उसांसैं,
नाई-बामन मरौ, बांधि दीनी भैंसा सैं।
दिन-भर सानी सी चरै, रात परौ खर्राय,
झकझोरूं तो हे सखी, ‘मरौ! मरौ!!’ चिल्लाय।
सखा सुन श्याम के!

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.