Hindi Poem of Adam Gondvi “Aap kahte he sarapa gulmuhar he zindagi“ , “आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िंदगी ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िंदगी
Aap kahte he sarapa gulmuhar he zindagi

आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िंदगी
हम ग़रीबों की नज़र में इक क़हर है ज़िंदगी

भुखमरी की धूप में कुम्हला गई अस्मत की बेल
मौत के लमहात से भी तल्ख़तर है ज़िंदगी
 
डाल पर मज़हब की पैहम खिल रहे दंगों के फूल
ख़्वाब के साए में फिर भी बेख़बर है ज़िंदगी
 
रोशनी की लाश से अब तक जिना करते रहे
ये वहम पाले हुए शम्सो-क़मर है ज़िंदगी

दफ़्न होता है जहाँ आ कर नई पीढ़ी का प्यार
शहर की गलियों का वो गंदा असर है ज़िंदगी

 

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