Hindi Poem of Gopal Prasad Vyas “Dhanyavad“ , “धन्यवाद” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

धन्यवाद
Dhanyavad

उनका कलम उन्हें लौटाया- धन्यवाद जी!
पत्र लिखा तो उत्तर आया- धन्यवाद जी!
छायावाद, रहस्यवाद तो बहुत सुने थे,
किंतु कहाँ से आ टपका यह धन्यवाद जी!

पत्नीवाद मान लेने से गदगद औरत,
पूंजीवाद पकड़ लेने से मिलती दौलत!
सत्य, अहिंसा, सदाचार को मारो गोली,
गांधीवादी को मिल जाती इनसे मोहलत।

मार्क्सवाद के हो-हल्ले में,
नाम-धाम तो हो जाता है।
लेकिन कोरे धन्यवाद में,
क्या जाता है, क्या आता है?

भेजा- नहीं रसीद पहुंच की
आया- फाइल करें कहां पर?
धन्यवाद धोबी का कुत्ता –
घर से घाट, घाट से फिर घर।

चला यहां से, गया वहां को,
वहां न पहुंचा, गया कहां फिर?
घूम रहा है मारा-मारा,
धन्यवाद है नेता का सिर।

नेताजी भाषण देते हैं,
लालाजी पहनाते माला,
संयोजक ने पूरा डिब्बा
मक्खन का खाली कर डाला

लेकिन जनता बिगड़ उठी है
इसे उतारो, उसे लाद दो।
मटरूमल जी जल्दी आओ,
खत्म करो अब धन्यवाद दो!

धन्यवाद है या कि मुसीबत?
बला आगई, इसको टालो।
जिसका भाषण नहीं कराना,
उससे धन्यवाद दिलवा लो।

अयशपाल जी धन्यवाद का –
भाषण देने खड़े हुए हैं।
लोग उठ गए, नेता गायब,
वह माइक पर अड़े हुए हैं।

धन्यवाद है या पत्थर है?
आए हो तो खाना होगा।
माला भले नहीं ले जाओ
धन्यवाद ले जाना होगा!

धन्यवाद ऐसी गाली है,
देकर इसे लेख लौटा दो।
धन्यवाद उल्लू का पट्ठा –
खड़ा रहेगा, भले लिटा दो।

नाक काटकर उसे उढ़ा दो
धन्यवाद वह दोशाला है।
पाकर हाथ जोड़ने पड़ते,
ठंडी कॉफी का प्याला है।

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