गणेश चतुर्थी
Ganesh Chaturthi
गणेश चतुर्थी मनाने के दौरान लोग भगवान गणेश (विघ्नेश्वर) की पूजा करते है। गणेश हिन्दू धर्म में सबसे प्रसिद्ध देवता है जो परिवार के सभी सदस्यों द्वार पूजे जाते है। किसी भी क्षेत्र में कोई भी नये कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी लोगों द्वारा हमेशा पूजे जाते है। ये उत्सव खासतौर से महाराष्ट्रा में मनाया जाता है हालाँकि अब ये भारत के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है। ये हिन्दूओं का महत्वपूर्ण पर्व है। लोग गणेश चतुर्थी पर पूरी भक्ति और श्रद्धा से ज्ञान और समृद्धि के भगवान की पूजा करते है।
लोग ऐसा भरोसा करते है कि गणेश जी हर साल ढ़ेर सारी खुशी और समृद्धि के साथ आते है और जाते वक्त सभी दुखों को हर जाते हैं। इस उत्सव पर गणेश जी को खुश करने लिये भक्त विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ करते है। उनके सम्मान और स्वागत के लिये गणेश जी के जन्मदिवस के रुप में इसे मनाया जाता है। ये उत्सव भाद्रपद (अगस्त और सितंबर) के महीने में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी पर शुरु होता है और 11वें दिन अनन्त चतुर्दशी पर खत्म होता है। हिन्दू धर्म में गणेश की पूजा बहुत मायने रखती है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई पूरी भक्ति और विश्वास के साथ उनकी पूजा करेगा उसे वो खुशी, ज्ञान, घन तथा लंबी आयु प्रदान करेंगे।
गणेश चतुर्थी के दिन लोग सुबह जल्दी ही स्नान कर लेते है, साफ कपड़े पहन कर भगवान की पूजा करते है। वो मंत्रोच्चारण, आरती गाकर, हिन्दू धर्म के दूसरे रिती-रिवाज निभाकर, भक्ति गीत गाकर भगवान को बहुत कुछ चढ़ाते है और प्रार्थना करते है। इसके पहले ये उत्सव केवल कुछ परिवारों में ही मनाया जाता था। बाद में ये बड़े उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा हालाँकि बाद में इसको बड़ा बनाने के लिये इसमें मूर्ति स्थापना और विसर्जन शामिल किया गया साथ ही इससे दुखों से मुक्ति मिलने लगी। 1983 में इसे लोकमान्य तिलक (सामाजिक कार्यकर्ता, भारतीय राष्ट्रवादी तथा स्वतंत्रता सेनानी) के द्वारा इस उत्सव की शुरुआत हुई। उस समय अंग्रेजी शासन से भारतीयों को बचाने के लिये एक गणेश पूजा की प्रथा बनायी।
अब के दिनों में गैर ब्राह्मण और ब्राह्मण के बीच की असमानता को हटाने के लिये एक राष्ट्रीय उत्सव के रुप में गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को कई नामों से जाना जाता है इसमें से कुछ है- एकदन्ता, असीम, शक्तियों के भगवान, हेरांबा (विघ्नहर्ता), लंबोदरा, विनायक, भगवानों के भगवान, बुद्धि, समृद्धि तथा संपत्ति के भगवान आदि। गणेश विसर्जन की पूर्णं हिन्दू प्रथा के साथ 11वें दिन (अनन्त चतुर्दशी) पर लोग गणेश को विदा करते है। वो भगवान से प्रार्थना करते है कि वो अगले वर्ष फिर से पधारें और अपना आशीर्वाद दें।