यह तो हो सकता है
Yah to ho sakta he
कि थक जाऊं मैं लिखने-पढ़ने से
कवि की तरह दिखने से
अच्छा मानता हूँ मैं किसी का भी
किसान या बुनकर दिखना
गीत लिखने से अच्छा मानता हूँ मैं
लिखना फ़सलें ज़मीन के टुकड़े पर
अपने टुकड़े पर तरजीह देता हूँ
किसी और के पल-भर हँसने को
कमतर मानता हूँ तौल-तौल कर शब्द
ताने कसने को
या कहो उससे अच्छा मानता हूँ कमर कसना
विनोबा कहते थे दिल्ली में बसना
स्वर्गवासी हो जाने का पर्याय है
और पूछते थे
क्यों भवानी बाबू
इस पर तुम्हारी क्या राय है?