Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Dharti par tare“ , “धरती पर तारे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

धरती पर तारे

Dharti par tare

 

सारे के सारे

आसमान के तारे

टूट पड़े धरती के ऊपर

झर-झर-झर-झर अगर

तो बतलाओ क्या होगा?

धरती पर आकाश बिछेगा

किरणों से हर कदम सिंचेगा

चंदा तक चढ़ने का

मतलब नहीं बचेगा

रूस बढ़ा या अमरीका

बढ़ने का मतलब नहीं बचेगा|

मगर एक मुश्किल आऐगी

कब जाएगी रात और

दिन कब आएगा?

कब मुर्गा बोलेगा

कब सूरज आएगा

कब बाज़ार भरेगा

कब हम जाएँगे सोने

कब जाएँगे लोग,

बढ़ेंगे कब किसान बोने

कब मां हमें उठाएगी

मूंह हाथ धुलेगा

जल्दी जल्दी भागेंगे हम यों कि

अभी स्कूल खुलेगा?

नाहक हैं सारे सवाल ये

हम सब चौबीसों घंटों

जागेंगे कूदेंगे खेलेंगे

हर तारे से बात करेंगे!

मगर दूसरे लोग-

बात उनकी क्या सोचें

उनसे कुछ भी नहीं बना

तो पापड़ बेलेंगे!

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