Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Aamin, gulab par esa waqt kabhi na aaye“ , “आमीन , गुलाब पर ऐसा वक्त कभी न आये” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आमीन , गुलाब पर ऐसा वक्त कभी न आये

 Aamin, gulab par esa waqt kabhi na aaye

 

हमारा पढ़ा – लिखा

मैंने उसे काफी

उलट-पुलट कर देखा है

मुझे तो वह ऐसा ही दिखा

सबसे बड़ा सबूत

उसके गुलाब होने का यह है

कि वह गाँव में जाकर

बसने के लिए

तैयार नहीं है

गाँव में उसकी

प्रदर्शनी कौन कराएगा

वहाँ वह अपनी शोभा की

प्रशंसा किससे कराएगा

वह फूलने के बाद

किसी फसल में थोड़े ही

बदल जाता है

मूरख किसान को फूलने के बाद

फसल देने वाला ही तो भाता है

गाँव में इसलिए ठीक है

अलसी और सरसों और

तिली के फूल

जा नहीं सकते वहाँ कदापि

गुलाब और लिली के फूल

बुरा नहीं मानना चाहिए

इस गुलाब – वृत्ति का

गाँव वालों को

क्योंकि वहाँ रहना चाहिए सिर्फ ऐसे हाथ – पाँव वालों को

जो बो सकते हैं

और काट सकते हैं

कुएँ खोद सकते हैं

खाई पाट सकते हैं

और फिर भी चुपचाप

समाजवाद पर भाषण सुनकर

वोट दे सकते हैं

गुलाब के फूल को

और फिर अपना सकते हैं

पूरे जोश के साथ अपनी उसी भूल को

याने जुट जा सकते हैं जो

उगाने में अलसी और

सरसों  और तिली के फूल

गुलाब और लिली के फूल

तो भाई यहीं शांतिवन में रहेंगे

बुरा मानने की इसमें

कोई बात नहीं है

बीच – बीच में यह प्रस्ताव कि गुलाब वहाँ जा कर

चिकित्सा करे या पढ़ाये

पेश करते रहने में हर्ज नहीं है

मगर साफ समझ लेना चाहिए

गुलाब का यह फर्ज नहीं है

कि गाँवों में जाकर खिले

अलसी और सरसों वगैरा से हिले-मिले

और खोये अपना आपा

ढँक जाये वहाँ की धूल से

सरापा

और वक्तन बवक्तन

अपनी प्रदर्शनी न कराये

आमीन , गुलाब पर ऐसा वक्त कभी न आये

 

 

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