Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Ek kshan ke liye“ , “एक क्षण के लिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक क्षण के लिए

 Ek kshan ke liye

 

अपने को आप जैसा पाया मैंने

आसमान तब

सिर पर उठाया मैंने

और दे मारा मैंने उसे

ज़मीन पर

हंसी आ गयी तब मुझे

उस क्षण यह सोचकर

कि  कितना इसका शोर था

इसी में रात थी

इसी में भोर था

और अब यह

यों छार छार  पड़ा है

आपके जैसा होने का मज़ा

ख़ासा बड़ा है

मगर एक क्षण के लिए

सदा तत्पर नहीं रह सकता मैं

इतने निरर्थक रण के लिए

जिसमें आसमान

सिर पर उठाना पड़ता हो

पटकना पड़ता हो जिसमें

सूरज को ज़मीन पर!

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