Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Tere bachpan ko javani ki dua deti hu“ , “तेरे बचपन को जवानी की दुआ देती हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तेरे बचपन को जवानी की दुआ देती हूँ

Tere bachpan ko javani ki dua deti hu 

तेरे बचपन को जवानी की दुआ देती हूँ

और दुआ देके परेशान सी हो जाती हूँ

मेरे मुन्ने मेरे गुलज़ार के नन्हे पौधे

तुझको हालत की आँधी से बचाने के लिये

आज मैं प्यार के आँचल में छुपा लेती हूँ

कल ये कमज़ोर सहारा भी न हासिल होगा

कल तुझे काँटों भरी राहों पे चलना होगा

ज़िंदगानी की कड़ी धूप में जलना होगा

तेरे बचपन को जवानी …

तेरे माथे पे शराफ़त की कोई मोहर नहीं

चंद होते हैं मुहब्बत के सुकून ही क्या हैं

जैसे माओं की मुहब्बत का कोई मोल नहीं

मेरे मासूम फ़रिश्ते तू अभी क्या जाने

तुझको किस-किसकी गुनाहों की सज़ा मिलनी है

दीन और धर्म के मारे हुए इंसानों की

जो नज़र मिलनी है तुझको वो खफ़ा मिलनी है

तेरे बचपन को जवानी …

बेड़ियाँ लेके लपकता हुआ कानून का हाथ

तेरे माँ-बाप से जब तुझको मिली ये सौगात

कौन लाएगा तेरे वास्ते खुशियों की बारात

मेरे बच्चे तेरे अंजाम से जी डरता है

तेरी दुश्मन ही न साबित हो जवानी तेरी

काँप जाती है जिसे सोचके ममता मेरी

उसी अंजाम को पहुंचे न कहानी तेरी

तेरे बचपन को जवानी …

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